पांच का पंच और कुपोषण हुआ नॉक आउट
जयपुरPublished: Oct 05, 2019 07:38:50 pm
राजस्थान में निजी और सरकारी क्षेत्र ने मिलकर एक जबरदस्त मुहिम छेड़ी और इसमें कामयाबी पाई है। पांच पार्टनर्स एनएचएम, यूनिसेफ, गेन, एसीएफ व टाटा ट्रस्ट डवलपमेंट ने मिलकर ‘पोषण-2’ कार्यक्रम चलाते हुए राज्य के सात हजार अतिकुपोषित बच्चों को मौत के मुंह से निकालकर सेहत की सौगात दी है।
प्रदेश के 20 जिलों के चयनित 739 उपस्वास्थ्य केन्द्रों एवं 4 हजार 686 आंगनबाड़ी केन्द्रों में पिछले वर्ष संचालित किया गया ‘पोषण-2’ समेकित कुपोषण प्रबंधन कार्यक्रम में 7 हजार 712 बच्चे कुपोषण मुक्त हो गये हैं। इन बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों से जोड़कर निगरानी में रखा गया है।
दस हजार बच्चों पर रखी नजर
मिशन निदेशक एनएचएम नरेश कुमार ठकराल ने बताया कि पोषण-2 कार्यक्रम में 3 लाख 75 हजार बच्चों की हैल्थ स्क्रीनिंग की गई और अतिगंभीर कुपोषित मिले 10 हजार 344 बच्चों को कार्यक्रम से जोड़ा गया। इन अतिकुपोषित बच्चों में से 7 हजार 412 विशेष निगरानी में रखकर पोषण अमृत खिलाया गया। अब बच्चे पूर्ण स्वस्थ है और स्थानीय आंगनबाड़ी केन्द्रों से इनको जोड़ दिया गया है।
तेरह जिलों में चली थी मुहिम
उन्होंने बताया कि इसी प्रकार पूर्व में सीमेम कार्यक्रम प्रदेश के 13 जिलों में चलाया गया था। इसके तहत 2 लाख 34 हजार बच्चों की स्क्रीनिंग की गई थी, जिनमें से 11 हजार 236 अतिगंभीर कुपोषित बच्चे थे, जिनमें से 9 हजार 640 को कुपोषण से मुक्त किया गया था।
ये रहे अभियान में सहयोगी
ठकराल ने बताया कि प्रदेश में पोषण निवारण में एएनएम आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनियों एवं डवलपमेंट पार्टनर संस्थानों के सहयोग से सफलतापूर्वक संचालन किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप 70 प्रतिशत बच्चे कुपोषण की श्रेणी से बाहर आए हैं। उन्होंने बताया कि सरकारी मशीनरी एवं समुदाय की सहभागिता बढ़ाकर कुपोषण प्रबंधन सुनिश्चित करने को हम संकल्पबद्ध हैं।
सरकार ने किए ये प्रयास
महिला एवं बाल विकास विभाग के शासन सचिव के.के. पाठक ने एक कार्यशाला में बताया कि सरकार प्रदेश को कुपोषण मुक्त करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। हमें पोषाहार के रूप में नवीन शोध करने की आवश्यकता है साथ ही कुपोषण प्रबंधन में सामुदायिक सहभागिता बढ़ाने के और अधिक प्रयास करने होंगे।