जयपुर

कोर्ट पहुंचने से पहले 66 हजार मुकदमें सुलझाने की कोशिश

कोर्ट पहुंचने से पहले 66 हजार मुकदमें सुलझाने की कोशिश

जयपुरJul 14, 2018 / 12:58 pm

KAMLESH AGARWAL

lok adalat

 
जयपुर।

राजस्थान हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय लोक अदालत के तहत अनूठा प्रयास किया जा रहा है। राष्ट्रीय लोक अदालत में करीबन 66 हजार ऐसे मुकदमें सूचीबद्ध किए हैं जिनको आपसी समझाइस और राजीनामे से लोक अदालत के जरिए निस्तारित करने का प्रयास किया जा रहा है।
राजस्थान हाईकोर्ट सहित प्रदेशभर के न्यायालयों में आज राष्ट्रीय लोक अदालत में करीब दो लाख प्रकरणों पर सुनवाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया। जिसका शुभारम्भ सुबह 10 बजे हाईकोर्ट की जयपुर पीठ परिसर में जस्टिस मोहम्मद रफीक ने किया। हाईकोर्ट की जयपुर पीठ में लोक अदालत में पांच मौजूदा न्यायाधीश और जोधपुर पीठ में सात मौजूदा न्यायाधीश सुनवाई कर रहे हैं। जयपुर पीठ में इस बार जिला न्यायाधीश स्तर के सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों को भी शामिल किया गया है।
पहली बार काउंसलिंग
राष्ट्रीय लोक अदालत में हर बार लाखों मुकदमें सूचीबद्ध होते थे लेकिन पक्षकारों को इस विषय में जानकारी नहीं होती थी इसी वजह लोक अदालत में मुकदमें निस्तारण का पूरा परिणाम नहीं मिल रहा था। पहली बार लोक अदालत सफल बनाने के लिए पक्षकारों की काउंसलिंग भी की गई है और यह कार्य बेंच में शामिल सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों ने किया।
पांच न्यायाधीशों की बेंच

राजस्थान हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति जयपुर के अनुसार जयपुर में हाईकोर्ट में न्यायाधीश मोहम्मद रफीक, न्यायाधीश मनीष भण्डारी, न्यायाधीश बनवारी लाल शर्मा, न्यायाधीश विजय कुमार व्यास व न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीशों की बेंच में करीब एक हजार मामलों की सुनवाई हो रही है।
सालों पुराने मुकदमें
लोक अदालत के लिए 5 से 10 साल पुराने प्रकरणों को भी शामिल किया गया है। जिनको लोक अदालत में आपसी समझाइस से मुकदमों का हल करने का प्रयास किया जा रहा है दोनों पक्षों को कानूनी अधिकार की जानकारी देने के साथ ही समझाया जा रहा है ताकि मुकदमों का निस्तारण किया जा सके। लोक अदालत में 66 हजार 976 प्रकरण एेसे होंगे, जो अब तक कोर्ट नहीं पहुंचे हैं। इनके अलावा विभिन्न अदालतों में लम्बित करीब सवा लाख प्रकरणों को भी लोक अदालत में लगाया जाएगा।
फायदे अनेक
लोक अदालत के जरिए मुकदमों का निस्तारण किए जाने पर कोर्ट फीस वापस लौटाई जाती है इसी के साथ वकीलों को फीस की अदायगी नहीं की जाती है और दोनों पक्षों में आपसी सहमति होने की वजह से विवाद का स्थाई समाधान होता है।
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