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ईद की तैयारियां शुरु, हर तरफ सिवइयों की महक, बन रही अलग-अलग डिशेज

locationजयपुरPublished: Jun 04, 2019 04:58:16 pm

Submitted by:

Deepshikha Vashista

ईद का जायका सिवइयां

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ईद की तैयारियां शुरु, हर तरफ सिवइयों की महक, बन रही अलग-अलग डिशेज

हर्षित जैन / जयपुर. रहमत के महीने रमजान में खान-पान में भी बरकत बरसती है। रोजेदार 30 दिन तक जायकों का सफर करता है। ज्यादातर घरों में आज भी खानों का वही जायका मौजूद है, जो सालों पहले रहा करता था। फास्ट फूड ने खाने की दिनचर्या में मामूली बदलाव किया है, लेकिन सिवइयां व इससे बने आयटम आज भी रोजेदारों के सबसे ज्यादा पसंदीदा हैं। सुखद बात यह है कि खाने की ये लाजवाब डिशें कहीं भी बनें, लेकिन रोजा खोलने के दौरान हर गरीब-अमीर के दस्तरख्वान पर पहुंच जाती हैं।

डिशें जो आज भी हैं सबसे ज्यादा पसंद

शीर खुरमा: सिवइयां, दूध, मेवे से बनाया जाता है। ईद पर तो यह हर घर की रौनक रहता है। लोग दूध के साथ चाव से खाते हैं।
सिवई जरदा: सिवई, दूध, मावा व मेवे से बनाया जाता है। सूखापन रहता है, जो अलग ही स्वाद देता है। अनेक घरों में इसे पूरे रमजान बनाया जाता है।

बाकरखानी: यह मैदे, सूखे मेवे और मावे की बनती है। इसे तंदूर या ओवन में सेंका जाता है। उस पर सूखे मेवे सजाए जाते हैं। इसे दूध के साथ भी खाया जाता है। यह पचने में भी हल्की होती है।
अंगूरदान: उड़द की दाल से बनने वाली मोटी बूंदी है। यह मीठी होती है। इफ्तार में नुक्ती भी खूब पसंद की जाती है। यह बेसन से बनती है। इन दिनों सेव की तरह के खारे भी काफी पसंद किए जाते हैं।
सकोरे की खीर: अनेक घरों में रात को दूध को ओटा जाता है, सुबह इससे खीर बनाई जाती है, जिससे सकोरों में दिया जाता है।

शीरमाल: इसे दूध, अंडा, मैदा, चीनी से तंदूर में बनाया जाता है। बड़ी होटलों में यह मिलता है, लेकिन रोजे के दौरान कई जगह बनाया जाता है।
महिलाएं बोलीं कई बदलाव आ गए

– शास्त्रीनगर, नाहरी का नाका मदीना मस्जिद निवासी 85 वर्षीय रहमत बेगम का कहना है कि पहले मस्जिद नहीं थी तब तोप से रोजे खोलने का ऐलान किया जाता था। हर तरफ बच्चों की चहल – पहल रहा करती थी लेकिन आज ये बातें भूली बिसरी हो गई हैं।
– चारदरवाजा की हनीफा बेगम(75) का कहना है कि गुजरे जमाने में हर घर में सिवइयां ही बनती थीं लेकिन अब ज्यादातर घरों में इसकी जगह दूसरे पकवानों ने ले ली है।

– सांगानेर निवासी शबीना खान का कहना है जब रोजेदार जब उनकी बनाई डिश खाता है तो वह ‘वाह’ बोल उठता है। तब समझो डिश बनाने की सारी मेहनत सही हो गई।
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