विशेषज्ञ डॉक्टरों ने रविवार को आयोजित वर्कशॉप में यह जानकारी दी। डॉक्टरों ने बताया कि बताया गया कि यह अत्याधुनिक लाइफ सपोर्ट तकनीक है जो मरीज की श्वसन क्रिया में तब तक सपोर्ट करती है जब तक कि रोगी के फेफड़े या हृदय सुचारू रूप से काम करने की स्थिति में नहीं आ जाते है।
यह तकनीक भारत में नई आई है और इसका इस्तेमाल करने के लिए उच्च प्रशिक्षित टीम की आवश्यकता होती है। वर्कशॉप में सौ से अधिक कार्डियक सर्जन्स, क्रिटिकल केयर एक्सपट्र्स, फिजिशियन, श्वास रोग विशेषज्ञ, इमरजेंसी स्टाफ ने भाग लिया। इस वर्कशॉप में प्रतिभागियों को एक्मो मशीन इस्तेमाल करने का व्यवहारिक प्रशिक्षण भी दिया गया।
ऑक्सीजन देने में सपोर्ट करती है -: हॉस्पिटल के एनेस्थिसिया व क्रिटिकल केयर विभाग के अध्यक्ष और क्लिनिकल डायरेक्टर डॉ. प्रदीप गोयल ने बताया कि यह तकनीक उन लोगों को लंबे समय तक हृदय और श्वसन संबंधित सहायता प्रदान करती है, जिनके दिल या फेफड़े कुछ कारणोंवश अस्थायी रूप से शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन देने में असमर्थ हो जाते है।
पूरा खून मशीन से बाहर निकालते हैं -: इस तकनीक में मरीज के शरीर का पूरा खून मशीन से बाहर निकालते हैं, फिर उसमें जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन शामिल कर प्रेशर से वापस शरीर में प्रवाह किया जाता है। इससे बीपी तो ठीक होता ही है, फेफड़ों व हार्ट के खून में ऑक्सीजन की मात्रा भी सही हो जाती है। नारायणा एसआरसीसी हॉस्पिटल मुंबई के पीडियाट्रिक्स इमरजेंसी व क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. अमीश वोरा ने बताया कि ऐसे केस में एक्मो तकनीक मरीज की जान बचाने का अंतिम विकल्प होता है। जब मरीज के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बनाए रखने के लिए वेंटीलेटर भी पर्याप्त नहीं होता है, तब एक्मो तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इस तकनीक को प्रत्येक इमरजेंसी सेंटर्स पर होना चाहिए।