इससे साफ है कि दोनों ही प्रमुख दल सहानुभूति और परिवारवाद के सहारे चुनावी वैतरणी पार लगाना चाहते हैं । हालांकि कांग्रेस ने तीनों ही सीटों पर ऐसे उम्मीदवार दिए हैं जो पहली बार चुनाव लडेंगे जबकि भाजपा के रतनलाल जाट और खेमाराम मेघवाल पहले भी मंत्री और विधायक रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही प्रत्याशियों को लेकर जातीय दांव पेंच का पूरा ध्यान रखा है। कांग्रेस पार्टी के लिए ये उप चुनाव सत्ता और संगठन की साख से जुड़ा है।
कांग्रेस को यहां जीत चाहिए तो पूरी एकजुटता से चुनावी समर में उतरना होगा । उधर बीजेपी के नेतृत्व की कोशिश होगी वह फोन टैपिंग से जुड़े मुद्दों के बीच में तीन उपचुनाव में जीत दर्ज करें, लेकिन बीजेपी के अंदर भी एकजुटता एक चुनौती है।विधानसभा उपचुनाव में तीनों सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी ने उम्मीदवार घोषित कर दिए।
कहां किस से होगा मुकाबला
तीनों सीटों पर दोनों ही दलों के प्रमुख दलों की बात करें तो सहाड़ा से कांग्रेस ने दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी की पत्नी गायत्री देवी को मैदान में उतारा । बुजुर्ग गायत्री का मुकाबला बीजेपी के अनुभवी रतन लाल जाट से होगा । यहां कांग्रेस और बीजेपी ने परंपरागत जातीय कार्ड खेलते हुए कांग्रेस ने ब्राह्मण और बीजेपी ने जाट चेहरे पर दांव खेला। गायत्री देवी पहली बार चुनाव लड़ेगी वहीं रतन लाल जाट पहले विधायक और मंत्री रह चुके हैं।
राजसमंद में कांग्रेस ने नए चेहरे तनसुख बोहरा को उम्मीदवार बनाया उनका मुकाबला दिवंगत किरण माहेश्वरी की बेटी दीप्ति माहेश्वरी से होगा।राजसमंद में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने नए उम्मीदवार उतारे है । दोनों उम्मीदवार जीवन में पहली बार चुनाव लड़ रहे है , यहां कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही वैश्य कार्ड चला है । कहा जा रहा था कि बोहरा पहले चुनाव लड़ने को तैयार नहीं थे लेकिन कांग्रेस की लीडरशिप ने मनाया और चुनावी समर में उतारा।
दोनों ही उम्मीदवार वैश्य वर्ग से आते हैं , दोनों का एक ही वर्ग के होने के पीछे टिकट आधार है राजसमंद का मार्बल उद्योग।जहां बड़ी संख्या में मतदाता रोजगार प्राप्ति के लिए के जाते हैं। सुजानगढ़ से कांग्रेस ने दिवंगत मास्टर भंवर लाल मेघवाल के बेटे मनोज मेघवाल मेघवाल नया चेहरा उतारा है ,उनके सामने बीजेपी ने खेमाराम मेघवाल को टिकट दिया है। खेमाराम पहले विधायक और मंत्री रह चुके हैं।
सहाड़ा में अंतिम समय में टिकट बदला
सहाड़ा में कांग्रेस पार्टी ने अंतिम समय पर टिकट बदल दिया। पहले दिवंगत विधायक कैलाश त्रिवेदी के भाई राजेंद्र को टिकट देने पर लगभग सहमति बन चुकी थी लेकिन त्रिवेदी परिवार में एक राय नहीं बन पाने के कारण दिवंगत विधायक की पत्नी गायत्री देवी को चुनावी समर में उतार दिया गया। गायत्री देवी के सारे कांग्रेस पार्टी यहां सहानुभूति वोट बटोर चुनाव जीतना चाहती है । रतन लाल जाट भी पुराने खाटी नेता है, मुकाबला यहां कांटे का होगा। उम्र, परिवारवाद इमोशनल कार्ड, जाति का गणित सभी फैक्टर यहां चलेंगे।
भाजपा-कांग्रेस के इन नेताओं की साख दांव पर
तीनों विधानसभा उपचुनाव क्षेत्रों का अपना अलग अलग सियासी मिजाज है । सहाडा और राजसमंद मेवाड़ में आते हैं तो वहीं सुजानगढ़ शेखावाटी में आता है। भीलवाड़ा राजसमंद और चुरू जिले में चुनाव हो रहे हैं। भीलवाड़ा और राजसमंद में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता के तौर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर सीपी जोशी को माना जाता है, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद पर होने के बावजूद पर्दे के पीछे उनकी भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
इसके अलावा सहाड़ा विधानसभा क्षेत्र में चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा, खेल मंत्री अशोक चांदना की साख भी दांव पर है। भीलवाड़ा जिले से मंत्री होने के चलते अशोक चांदना की यहां अग्नि परीक्षा है। तो वहीं रघु शर्मा सहाड़ा के चुनाव प्रभारी हैं। भाजपा की बात करें तो राजसमंद और सहाड़ा सीट पर नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और राजसमंद सांसद दीया कुमारी और भीलवाड़ा सांसद सुभाष बहेरिया की साख दांव पर हैं।
डोटासरा-पूनियां की साख भी दांव पर
वहीं सहाड़ा, राजसमंद और सुजानगढ़ सीट पर हो रहे उपचुनाव में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां भी साख दांव पर है। दोनों के नेतृत्व में ये पहला उपचुनाव हो रहा है। दोनों ही नेता जाट वर्ग से होने से साथ ही शेखावाटी से ताल्लुक रखते हैं। डोटासरा जहां सीकर से हैं तो वहीं पूनियां चूरू जिले हैं। उपचुनाव के परिणाम डोटासरा-पूनियां के राजनीतिक भविष्य भी तय करेंगे।