स्लेब रेट पर: 501 यूनिट पर विद्युत शुल्क की गणना
– 50 यूनिट तक —-3.85 रुपए—- 192.50 रुपए
– 50 से 150 यूनिट—- 6.10 रुपए —-610 रुपए
– 150 से 300 यूनिट —-6.40 रुपए—- 960 रुपए
– 300 से 500 यूनिट —-6.70 रुपए —-1340 रुपए
– 500 से ज्यादा यूनिट—- 7.15 रुपए —-7.15 रुपए
(1 यूनिट के आधार पर)
विद्युत शुल्क— 3109.65 रुपए (इसमें फिक्स चार्ज, अरबन सेस, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी, फ्यूल सरचार्ज शामिल नहीं है)
– 7.95 रुपए प्रति यूनिट (प्रस्तावित)
– 501 यूनिट उपभोग होने पर
विद्युत शुल्क— 3982.95 रुपए (इसमें फिक्स चार्ज, अरबन सेस, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी, फ्यूल सरचार्ज शामिल नहीं है)
विद्युत शुल्क में अंतर— 873.30 रुपए (प्रति माह इतना भार बढ़ जाएगा)
याचिका में बताया गया है कि टैरिफ में बढ़ोत्तरी नहीं हुई तो डिस्कॉम्स पर करीब 7 हजार करोड़ रुपए का घाटा रहेगा। टैरिफ बढ़ा तो भी 2 हजार करोड़ रुपए का घाटा रहेगा। इसकी पूर्ति जनता की जेब से होगी।
बीपीएल, लघु श्रेणी (पचास यूनिट तक) के घरेलू उपभोक्ता के अलावा उद्योगों को राहत देने का पूरा भार मध्यमवर्गीीय परिवार पर डालना प्रस्तावित है। याचिका के आधार पर डिस्कॉम्स को 12 प्रतिशत तक ज्यादा राशि मिलेगी। खास यह भी है कि पहली बार सभी श्रेणी में फिक्स चार्ज बढ़ाने पर फोकस किया गया है, जो दोगुना तक है। हालांकि अंतिम फैसला जनसुनवाई के बाद आयोग करेगा।
पहली बार टाइम ऑफ डे (टीओडी) टैरिफ का प्रस्ताव है। रात 12 से सुबह 6 बजे तक उद्योग संचालन पर 10 फीसदी सस्ती बिजली मिलेगी। सुबह 7 से 11 बजे तक संचालन तो 10 प्रतिशत सरचार्ज लगाकर पेनल्टी वसूली जाएगी। कारण, रात में बिजली सरप्लस होती है और डिस्कॉम चाहता है कि सरप्लस बिजली का उपयोग हो। बाकी समय साामन्य दर रहेगी।