राज्य सरकार ने इस अतिरिक्त मजदूरी के लिए मुख्यमंत्री के नाम पर अलग से योजना जारी कर दी है। इसका नाम मुख्यमंत्री ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, राजस्थान होगा। सरकार का तर्क है कि अतिरिक्त मजदूरी का भुगतान राज्य निधि से किया जाएगा। कलक्टरों को जारी ताजा निर्देशों में यह बात साफ की है। मतलब यह हुआ कि 100 दिन तक का रोजगार केन्द्रीय मनरेगा में मिलेगा, जबकि इसके अतिरिक्त 25 दिन मजदूर ने मांगे तो यह रोजगार मुख्यमंत्री के नाम वाली नई योजना में गिना जाएगा।
तीन जनजातियों को 100 दिन अतिरिक्त
मनरेगा में 100 दिन पूरे करने वाले सभी मजदूरों को 25 दिन के अतिरिक्त रोजगार मिलेगा। जबकि, राज्य के विशेष योग्यजनों और बारां व उदयपुर में तीन जनजातियों के लिए 100 ही अतिरिक्त दिन की मजदूरी का प्रावधान किया गया है।
गैर अनुमत काम भी उपयोगी माने
नई योजना में मनरेगा की केन्द्रीय गाइडलाइन में गैर अनुमत काम भी उपयोगी मान कर जोड़े गए हैं। मनरेगा गाइडलाइन के तहत सिर्फ कृषि भूमि पर ही जल संरक्षण ढ़ांचे बनाए जा सकते हैं। लेकिन प्रदेश में कम वर्षा का हवाला देते हुए आवासीय क्षेत्र में भी रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को भी मंजूरी दी गई है।
राज्य सरकार ने अतिरिक्त रोजगार के लिए अपने स्त्रोतों से 750 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। राज्य का पैसा लग रहा है तो नाम परिवर्तन में क्या हर्ज है। रमेश मीणा, ग्रामीण विकास मंत्री
यह सिर्फ जनता को मूर्ख बनाने के लिए किया जा रहा है। मैं बता दूंगा कि जनता को इसमें काम मिलेगा ही नहीं। यह काम की नहीं, सिर्फ नाम की घोषणा साबित होगी। गुलाब चंद कटारिया, नेता प्रतिपक्ष