ऊर्जा विभाग के प्रमुख शासन सचिव दिनेश कुमार ने बताया कि ऊर्जा दक्ष भवनों की डिजाइन एवं निर्माण अवस्था में ही ऊर्जा संरक्षण के प्रावधान समाहित करने होंगे। उन्होंने कहा कि शॉपिंग कॉम्पलेक्स, हैल्थ केयर, सभागार, शिक्षण संस्थान, वाणिज्यिक भवन में दिन के प्रकाश के समुचित उपयोग करने के साथ भवनों में लगे कांच, दरवाजों, दीवारों, छतों द्वारा सौर ऊष्मा व ताप स्थान्तरण (हीट ट्रान्सफर) की सीमाएं प्रवाहित की जाएगी। इससे इन भवनों में ऊर्जा संरक्षण के साथ प्राकृतिक वेंटिलेशन का वातावरण तैयार हो सकेगा।
आरआरइसी के निदेशक (तकनीकी) सुनित माथुर ने बताया कि भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय द्वारा वर्ष 2017 में संशोधित ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता-2017 की अनुपालना में राज्य में ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता नियम, 2018 पहली बार अधिसूचित किया गया था। अब इसके अपग्रेडेशन के सन्दर्भ में प्रारूप बनाए गए हैं।
बैठक में ऊर्जा विभाग की संयुक्त सचिव अनुपमा जोरवाल एवं आर.आर.इ.सी. के ओएसडी नवीन शर्मा सहित रियल एस्टेट डवलपर्स संघ, आर्किटेक्ट एवं इंजीनियर एसोसिएशन इण्डियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल के प्रतिनिधियों ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुझाव बताए।