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स्कूलों में नामांकन बढ़ा, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता घटी

locationजयपुरPublished: Jan 16, 2019 10:56:32 am

Submitted by:

Mridula Sharma

रिपोर्ट में खुलासा

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स्कूलों में नामांकन बढ़ा, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता घटी

जयपुर. प्रदेश के स्कूलों में इस वर्ष बच्चों के नामांकन में वृद्धि हुई है, लेकिन गुणवत्ता के मामले में स्थिति बेहद खराब है। हालात ये हैं कि तीसरी के बच्चे दूसरी कक्षा की किताबें भी नहीं पढ़ पा रहे हैं। इतना ही नहीं, पिछले दो वर्षों की तुलना में भी इस बार स्तर काफी गिरा है। प्रदेश में शैक्षणिक व्यवस्था की पोल खोलती असर रिपोर्ट मंगलवार को रिलीज की गई।
इस रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में तीसरी कक्षा के 17.3 फीसदी बच्चे ही घटाने के सवाल हल कर पाए। जबकि 2016 में यह आंकड़ा 21.5 प्रतिशत था। इसी प्रकार पांचवीं के 46.7 फीसदी बच्चे घटाने व 23.3 प्रतिशत भाग के सवाल कर पाए। 2016 में यह आंकड़ा 52.3 फीसदी व भाग के लिए 28.2 प्रतिशत था। आठवीं कक्षा के 41.6 फीसदी बच्चे ही भाग कर पाए, जबकि 2016 में 46.8 फीसदी ने भाग के सवाल हल किए थे।
989 गांवों के 34,952 बच्चों पर किया सर्वे
प्रथम संस्था की असर 2018 की रिपोर्ट ग्रामीण भारत में 3 से 16 वर्ष के बच्चों के स्कूल में नामांकन और 5 से 16 वर्ष के बच्चों की पढऩे व गणित के सवाल हल करने की बुनियादी क्षमताओं पर केंद्रित है। इस साल सर्वे के तहत राजस्थान में 837 सरकारी विद्यालयों का अवलोकन किया गया। प्रदेश के सभी 33 जिलों के 989 गांवों के 19,713 घरों में 3 से 16 आयु वर्ग के 34,952 बच्चों का सर्वेक्षण कर रिपोर्ट तैयार की गई है।
भाषा में भी पिछड़े
चौंकाने वाली बात यह है कि स्कूल गणित ही नहीं, बल्कि हिंदी भाषा का ज्ञान देने में भी पिछड़े हैं। तीसरी कक्षा के 80 फीसदी बच्चे अब भी दूसरी का पाठ नहीं पढ़ पाए। पांचवी कक्षा में केवल 49.1 फीसदी बच्चे ही दूसरी कक्षा का पैराग्राफ पढ़ पाए, जबकि 2016 में 54.1 फीसदी बच्चे पाठ पढ़ सकते थे। इसी प्रकार आठवीं कक्षा के स्तर में भी गिरावट आई है।
निजी स्कूलों में नामांकन घटा
स्कूलों में बच्चों का नामांकन बढ़ा है। पिछले 10 वर्षों से 6-14 आयु वर्ग के लगभग 96 फीसदी बच्चे विद्यालय में नामांकित हैं। साल 2010 में जहां 11 से 14 वर्ष की 12.1 प्रतिशत लड़कियां विद्यालय में नामांकित नहीं थी, अब यह आंकड़ा 7.4 फीसदी रह गया है। उधर, निजी स्कूलों में नामाकंन घटा है। 2014 में निजी स्कूलों में 42.1 फीसदी बच्चे थे, जो 2018 में घटकर 35.8 फीसदी रह गए। वहीं सरकारी विद्यालयों में 2014 में 52.2 फीसदी बच्चे थे, जो 2018 में बढ़कर 60 फीसदी हो गए।
गुणवत्ता बनी चुनौती
वर्तमान में प्रदेश में 96 फीसदी बच्चे स्कूलों में नामांकित हैं। इसके साथ ही विद्यालयों की भौतिक सुविधाओं में भी सुधार हुआ है। लेकिन अब भी स्कूलों में पढऩे-सीखने के परिणामों की गुणवत्ता चुनौती बनी हुई है। प्रारम्भिक विद्यालयों की पढ़ाई में भाषा व गणित के स्तरों में सुधार करना होगा।
के.बी. कोठारी, मैनेजिंग ट्रस्टी, प्रथम राजस्थान

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