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ऊषा बेन ने बताया कि मेरा परिवार बेहद गरीब था, पांच भाई बहनों में मैं सबसे बड़ी थी और मुझ पर काफी जिम्मेदारी थी। कॉलेज में उस दौर के चैम्पियन के.सी. ठक्कर के साथ अभ्यास करते थे। लेकिन पेशेवर बनने के बारे में कभी सोचा नहीं। परिवार की जिम्मेदारियों के चलते शादी भी नहीं की।
ऊषा बेन ने बताया कि मेरा परिवार बेहद गरीब था, पांच भाई बहनों में मैं सबसे बड़ी थी और मुझ पर काफी जिम्मेदारी थी। कॉलेज में उस दौर के चैम्पियन के.सी. ठक्कर के साथ अभ्यास करते थे। लेकिन पेशेवर बनने के बारे में कभी सोचा नहीं। परिवार की जिम्मेदारियों के चलते शादी भी नहीं की।
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अहमदाबाद में फूड एंड सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन ऑफिस से वर्ष 1996 में रिटायर होने के बाद ऊषा बेन ने अपने शौक को ही पेशा बना लिया। वह अकेले ही वेटरन वर्ग के विभिन्न टूर्नामेंटों में हिस्सा लेने के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाती हैं। उनका कहना है कि इस खेल की वजह से उन्हें वृद्धवस्था में होने वाली किसी भी बीमारी ने अब तक छुआ नहीं है और वह आगे भी ऐसे ही फिट रहना चाहती हैं।
अहमदाबाद में फूड एंड सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन ऑफिस से वर्ष 1996 में रिटायर होने के बाद ऊषा बेन ने अपने शौक को ही पेशा बना लिया। वह अकेले ही वेटरन वर्ग के विभिन्न टूर्नामेंटों में हिस्सा लेने के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाती हैं। उनका कहना है कि इस खेल की वजह से उन्हें वृद्धवस्था में होने वाली किसी भी बीमारी ने अब तक छुआ नहीं है और वह आगे भी ऐसे ही फिट रहना चाहती हैं।
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ऊषा बेन के साथ अभ्यास करने वाली 77 वर्षीय बद्रिका बेन पांड्या ने भी शादी के बाद परिवार की जिम्मेदारियों को देखते हुए टेबल टेनिस खेलना छोड़ दिया था। लेकिन फिर ऊषा बेन को देखकर उन्होंने फिर से खेलना शुरू किया और आज दोनों गुजरात का प्रतिनिधित्व करती हैं।
ऊषा बेन के साथ अभ्यास करने वाली 77 वर्षीय बद्रिका बेन पांड्या ने भी शादी के बाद परिवार की जिम्मेदारियों को देखते हुए टेबल टेनिस खेलना छोड़ दिया था। लेकिन फिर ऊषा बेन को देखकर उन्होंने फिर से खेलना शुरू किया और आज दोनों गुजरात का प्रतिनिधित्व करती हैं।