script2000 किलोमीटर के सफर के बाद भी घर नसीब नहीं…मंदिर में शरण | Even after 2000 km journey, the house is not destined | Patrika News

2000 किलोमीटर के सफर के बाद भी घर नसीब नहीं…मंदिर में शरण

locationजयपुरPublished: Apr 04, 2020 05:06:37 pm

Submitted by:

jagdish paraliya

अलवर, जयपुर, सीकर सहित कई जिलों के लोग कर रहे थे काम

 Even after 2000 km journey, the house is not destined ... refuge in the temple

People from many districts including Alwar, Jaipur, Sikar were working

पांच राज्यों की सीमा पैदल ही पार की, एक दिन पहले ही फतेहपुर के भिराणियां में पहुंचे चैकअप के बाद डॉक्टरों ने किया होम आइसोलेट
सीकर. लॉकडाउन के दौरान रोजी-रोटी के अभाव में हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर मजदूर घर पहुंचने को विवश हो रहे हैं। गुवाहाटी से दो हजार किलोमीटर की दूरी ट्रकों में तय करते हुए एक दिन पहले ही सीकर के फतेहपुर में पहुंचे। फतेहपुर के भिराणियां के रहने वाले मनेाज कुमार, राजू, भंवरलाल तीन फरवरी को काम करने के लिए गुवाहाटी गए थे। मनोज ने पत्रिका को बातचीत में बताया कि राजस्थान के अलवर, जयपुर, सीकर सहित कई जिलों के लोग रेलवे का काम कर रहे थे।
लॉकडाउन होने पर पुलिस ने उन्हें वहां पर रुकने से मना कर दिया। इनके गु्रप में करीब 20 लोग थे। सभी ने एक ट्रक चालक से 38 हजार रुपए में राजस्थान में जयपुर की सीमा के आासपास पहुंचाने की बात की। वे 28 मार्च को खाना खाकर निकले। अलवर के सात, चौमूं के दस व सीकर के तीन लोग थे। दो दिन तक ट्रक में तिरपाल के नीचे छिप कर बैठे रहे।
बॉर्डर से 15 किमी. पहले ही उतर जाते
मनोज ने बताया कि रास्ते में काफी जगह पर नाकाबंदी थी। आसाम बॉर्डर से 15 किलोमीटर पहले ट्रक चालक ने उतार दिया। तब उन्होंने पैदल ही 25 किमी की दूरी तय की। तब आगे ट्रक चालक वापस लेकर गया। इसी तरह उन्होंने पांच राज्यों की सीमा पार की। वे आसाम से निकलने के बाद कई बार भूखे ही रहे। 30 मार्च के बाद तीन दिन तक किसी को खाना नसीब नहीं हुआ।
चौमूं में ट्रक छोड़कर चला गया, वहां से पैदल पहुंचे
चौमूं में सब्जीमंडी के पास ट्रक चालक ने उतार दिया। वहां से सभी पैदल ही रवाना हो गए। बदहवास स्थिति में सभी रोने लग गए। कई किलोमीटर तक पैदल आए। रास्ते में पुलिसकर्मियों ने रामूकाबास तक ट्रक में पहुंचाया। दो मार्च को गोकुलपुरा मोड के पास तीनों को पैदल ही जाते हुए स्कूल प्रधानाध्यापक प्रताप सिंह ने रोका। तीनों को चाय पिलाई। स्क्ूल में स्नान करने के बाद तीनों सो गए। फिर वे पैदल ही गांव पहुंच गए। मनोज ने बताया कि गांव में पहुंचे तो लोगों ने मंदिर में रहने को कहा। तब उन्होंने मंदिर में ही शरण ली। डॉक्टरों की टीम वहां पर आई। चैकअप करने के बाद टीम ने होम आइसोलेशन में रहने को कहा।
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