तीन बार करोना पॉजिटिव होने के बाद भी नहीं खोया हौंसला-
जयपुर मानसरोवर में स्थित यूपीएचसी किरण पथ चिकित्सालय में कार्यरत डॉ वन्दना गुप्ता जो कि पिछले एक साल से जबसे महामारी शुरु हुई। तबसे लगातार अपनी सेवाएं दे रही हैं। वह रोजाना 250 से 350 मरीजों को देख रही है। इनमें कोरोना के संदिग्ध मरीज भी शामिल हैं। वन्दना ने बताया कि उनके चिकित्सालय में दो महीने से कोविड का वैक्सीनेशन हो रहा है और छह महीने से कोविड सेम्पलिंग का काम किया जा रहा हैं। कोविड पॉजिटिव मरीजों को घर घर जाकर चिकित्सा सेवा दी जा रही है। इसके चलते वह स्वयं कोविड पॉजिटिव हो चुकी हैं। साथ में परिवार के 15 सदस्य भी कोविड पॉजिटिव हो गए थे। उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से वह अपने ससुर को खो चुकी हैं। वह स्वयं तीन बार कोविड पॉजिटिव हो चुकी है, इसके बाद भी उन्होने हिम्मत नहीं हारी और पूरी निष्ठा से काम कर रही हैं।
जयपुर मानसरोवर में स्थित यूपीएचसी किरण पथ चिकित्सालय में कार्यरत डॉ वन्दना गुप्ता जो कि पिछले एक साल से जबसे महामारी शुरु हुई। तबसे लगातार अपनी सेवाएं दे रही हैं। वह रोजाना 250 से 350 मरीजों को देख रही है। इनमें कोरोना के संदिग्ध मरीज भी शामिल हैं। वन्दना ने बताया कि उनके चिकित्सालय में दो महीने से कोविड का वैक्सीनेशन हो रहा है और छह महीने से कोविड सेम्पलिंग का काम किया जा रहा हैं। कोविड पॉजिटिव मरीजों को घर घर जाकर चिकित्सा सेवा दी जा रही है। इसके चलते वह स्वयं कोविड पॉजिटिव हो चुकी हैं। साथ में परिवार के 15 सदस्य भी कोविड पॉजिटिव हो गए थे। उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से वह अपने ससुर को खो चुकी हैं। वह स्वयं तीन बार कोविड पॉजिटिव हो चुकी है, इसके बाद भी उन्होने हिम्मत नहीं हारी और पूरी निष्ठा से काम कर रही हैं।
संक्रमण के डर से मां को भाई के पास भेजा
कोरोना में पिता को खोने वाले लैब असिस्टेंट अमित गुप्ता पिछले छह महीनों से लगातार संदिग्ध मरीजों के कोरोना सेम्पल ले रहे हैं। इसके लिए अमित का पूरा परिवार और खुद भी कोरोना पॉजिटिव हो गए। परिवार में बुजुर्ग माता पिता, पत्नी और 12 साल का बच्चा भी कोरोना से नहीं बच पाया। कोरोना की वजह से पिता को भी खोना पड़ा। पिता की मौत के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने काम में वापस जुट गए। अपने कार्य में संक्रमण फैलने के डर से उन्हें अपनी बुजुर्ग मां का दूर करना पड़ा और अपने भाई के पास हैदराबाद भिजवा दिया। जिससे उन्हें कोई संक्रमण नहीं हो। कोरोना सैम्पल लेने के साथ साथ वह लैब में होने वाली सभी जांच करते हैं। मरीजों को समझाते है कि कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है। बस सावधानी पूरी तरह से बरते और कोविड गाइड लाइन की पालना करें। संदिग्ध मरीजों के बीच में रहने के कारण घर में अपना कमरा अलग बना रखा, जिसके कारण दुबारा घर वालों को संक्रमण नहीं हो सके।
कोरोना में पिता को खोने वाले लैब असिस्टेंट अमित गुप्ता पिछले छह महीनों से लगातार संदिग्ध मरीजों के कोरोना सेम्पल ले रहे हैं। इसके लिए अमित का पूरा परिवार और खुद भी कोरोना पॉजिटिव हो गए। परिवार में बुजुर्ग माता पिता, पत्नी और 12 साल का बच्चा भी कोरोना से नहीं बच पाया। कोरोना की वजह से पिता को भी खोना पड़ा। पिता की मौत के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने काम में वापस जुट गए। अपने कार्य में संक्रमण फैलने के डर से उन्हें अपनी बुजुर्ग मां का दूर करना पड़ा और अपने भाई के पास हैदराबाद भिजवा दिया। जिससे उन्हें कोई संक्रमण नहीं हो। कोरोना सैम्पल लेने के साथ साथ वह लैब में होने वाली सभी जांच करते हैं। मरीजों को समझाते है कि कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है। बस सावधानी पूरी तरह से बरते और कोविड गाइड लाइन की पालना करें। संदिग्ध मरीजों के बीच में रहने के कारण घर में अपना कमरा अलग बना रखा, जिसके कारण दुबारा घर वालों को संक्रमण नहीं हो सके।