त्रिपोलिया बाजार में सीना ताने खड़ी सबसे ऊंची मीनार ईसरलाट (सरगासूली) जयपुर के महाराजा सवाई ईश्वरी की तीन युद्धों में जीत की याद दिलाती है। मध्य में त्रिपोलिया गेट है, जिसके नाम बाजार रखा गया। इसी गेट से गणगौर और तीज माता की शाही सवारी निकलती है। बाजार की पूर्व दिशा में बड़ी चौपड़ और पश्चिम में छोटी चौपड़ बनी हुई है। सुरक्षा के लिहाज से छोटी चौपड़ पर कोतवाली और बड़ी चौपड़ पर माणक चौक पुलिस थाना बना हुआ है। आवागम के लिए दोनों चौपड़ों पर मेट्रो स्टेशन है।
बाजार में पार्किंग व्यवस्था ठीक नहीं होने से सड़क पर जाम की स्थिति रहती है। वहीं ई-रिक्शा भी जाम की समस्या को बढ़ा रहे हैं। भीड़ भरा बाजार होने से आए दिन जेब तराशी की घटनाएं होती रहती है। बाजार में बाहर से आने वाले ग्राहकों के लिए ना तो सुस्ताने की जगह है और ना ही पेयजल के लिए प्याऊ है। दुकानदारों ने बरामदों और सड़क पर अतिक्रमण कर रखा है, जिससे पैदल चलने वालों को परेशानी होती है।
बाजार में 382 दुकानें हैं। खासतौर पर परंपरागत तांबे-कासा और पीतल के बर्तन, सोने-चांदी के आभूषण, हार्ड वेयर, पारंपरिक कपड़े, लाख की चूडिया पुरानी बहियों, किराना व सुखे मेवे, दुल्हा-दुल्हन के कपड़े, कढ़ाई, ट्रेंडी बंदिनी टाई और डाई कपड़े, अलमारियां, ट्रंक, सिलाई मशीन, घड़ियों की खरीदारी के लिए खास है।
बाजार में अस्थाई अतिक्रमण व पार्किंग सबसे बड़ी समस्या है। बरामदे अतिक्रमण मुक्त हो इसके लिए नगर निगम को प्रयास करने चाहिए। व्यापार मंडल ने इस बारे में प्रशासन को कई बार शिकायत भी की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
राजेन्द्र गुप्ता, अध्यक्ष, त्रिपोलिया बाजार व्यापार मंडल
पूरे बाजार में महिलाओं और पुरुषों के लिए कही भी सुविधाएं नहीं है, इसके कारण यहां आने वालों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। वहीं बाजार के दोनों सिरों पर दो थाने होने के बावजूद सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है। सरकार को समस्याओं का समाधान करना चाहिए।
सत्येन्द्र रस्तोगी, महामंत्री