विधानसभा चुनाव में जो मुद्दा बनाया, फिर लागू किया, वही फैसला अब पलटा
निकाय प्रमुखों के सीधे चुनाव कराने को लेकर कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनाने के बाद राज्य की सत्ता में आने के तत्काल बाद निर्णय किया था कि निकाय प्रमुखों का सीधा चुनाव होगा। लेकिन जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद देश के बदले हालात को लेकर कांग्रेस पार्टी में चिंता जाहिर की जा रही थी कि शहरी निकायों के इन चुनाव में बड़ी शिकस्त मिल सकती है। इसका सीधा असर राज्य सरकार की इमेज पर होगा। इसको देखते हुए सरकार ने चुनाव में साख बनाए रखने के लिए यह बड़े कदम उठाए हैं।
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ये होगा असर…
निकाय प्रमुख के चुनाव के लिए पार्षद के अलावा किसी भी व्यक्ति के चुनाव मैदान में उतरने से पार्षदंों की खरीद फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा। जहां भी बराबरी या फिर बहुमत में कम अंतर होगा, वहां बड़े स्तर पर पार्षदों में तोडफ़ोड़ करने की कोशिशें की जाएंगी। सूत्रों के मुताबिक ऐेसे में निकाय प्रमुख के पदों पर बड़े नेता या फिर धनबल में मजबूत व्यक्ति को महापौर, सभापति और अध्यक्ष बनने का अवसर मिल सकता है।
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बाड़ाबंदी पर रहेगा जोर…
निकाय प्रमुखों के चुनाव के बाद पार्षदों की बाड़ाबंदी पर विशेष जोर रहेगा। अपनी-अपनी पार्टी के पार्षदों की बाड़ाबंदी करने के बाद बहुमत के लिए पार्षदों को अपने पक्ष में करने को लेकर उच्च स्तर तक प्रयास होंगे। इन हालात में प्रदेश में राजनीतिक रूप से स्थिति बिगडऩे का हालात बन सकते हैं।
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19 को हो सकती लॉटरी…
माना जा रहा है कि महापौर, सभापति और अध्यक्ष की सीटों के आरक्षण के लिए राज्य सरकार की ओर से 19 को लॉटरी निकाली जा सकती है। ऐसे में इस लॉटरी से पहले राज्य सरकार ने यह दूसरा बड़ा निर्णय लिया है।
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आपराधिक व्यक्ति नहीं लड़ सकेंगे निकाय प्रमुख का चुनाव
निकाय प्रमुख के दावेदारों के लिए कुछ नियम और शर्तें भी लागू होंगे। उसके मुताबिक निकाय क्षेत्र का मतदाता होना आवश्यक होगा। इसके साथ ही आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं होनी चाहिए। किसी भी आपराधिक घटना में पुलिस की ओर से कोर्ट में चालान पेश नहीं किया गया हो।
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