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पार्षद बने बिना भी बन सकेंगे महापौर, सभापति और पालिका अध्यक्ष!

locationजयपुरPublished: Oct 16, 2019 06:18:45 pm

Submitted by:

Sunil Sisodia

– पार्षद चुने जाने के बाद मेयर, सभापति और अध्यक्ष के चुनाव में कोई भी उतर सकेगा मैदान में – जिस वर्ग के लिए सीट आरक्षित होगी, उसी वर्ग का उम्मीदवार होना अनिवार्य

secretariat jaipur

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जयपुर। महापौर, सभापति और अध्यक्ष का सीधा चुनाव लडऩे की व्यवस्था समाप्त करने के बाद अब राज्य सरकार ने महापौर, सभापति और अध्यक्ष बनने के लिए पार्षद चुनाव लडऩे की अनिवार्यता समाप्त करने की तैयारी कर ली है। पार्षद का चुनाव होने के बाद महापौर, सभापति और अध्यक्ष का चुनाव होगा।
इस चुनाव में पार्षद वोट करेंगे। राज्य के 52 निकायों में अगले माह होने वाले चुनाव में ज्यादा से ज्यादा निकायों में कब्जा जमाने को लेकर राजनीतिक दल तैयारी में जुट गए हैं। उसी रूप में इस बदलाव को देखा जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक निकायों में महापौर, सभापति और अध्यक्ष के सीधे चुनाव कराने की व्यवस्था समाप्त करने की तैयारी के साथ ही राज्य सरकार ने निकाय प्रमुख के चुनाव में पार्षद होने की अनिवार्यता को समाप्त करने को लेकर तैयारी शुरू कर दी थी। लेकिन हाल ही केबिनेट की बैठक में निकाय प्रमुखों का चुनाव पार्षदों के बहुमत के आधार पर ही किए जाने के निर्णय के दौरान यह खुलासा नहीं किया था कि निकाय प्रमुख बनने के लिए निकाय क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति दावेदारी कर सकेगा।
लेकिन अब दूसरे इस बड़े बदलाव के बाद वे सभी बड़े नेता निकाय प्रमुख के लिए दावेदारी कर सकेंगे, जो पार्षद का चुनाव लडऩे से हिचकिचा रहे थे। खास बात है कि जो नई व्यवस्था में जो व्यक्ति या महिला पार्षद का चुनाव हार जाएंगे वो भी निकाय प्रमुख चुनाव में उम्मीदवार बन सकेंगे।

विधानसभा चुनाव में जो मुद्दा बनाया, फिर लागू किया, वही फैसला अब पलटा


निकाय प्रमुखों के सीधे चुनाव कराने को लेकर कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनाने के बाद राज्य की सत्ता में आने के तत्काल बाद निर्णय किया था कि निकाय प्रमुखों का सीधा चुनाव होगा। लेकिन जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद देश के बदले हालात को लेकर कांग्रेस पार्टी में चिंता जाहिर की जा रही थी कि शहरी निकायों के इन चुनाव में बड़ी शिकस्त मिल सकती है। इसका सीधा असर राज्य सरकार की इमेज पर होगा। इसको देखते हुए सरकार ने चुनाव में साख बनाए रखने के लिए यह बड़े कदम उठाए हैं।

ये होगा असर…

निकाय प्रमुख के चुनाव के लिए पार्षद के अलावा किसी भी व्यक्ति के चुनाव मैदान में उतरने से पार्षदंों की खरीद फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा। जहां भी बराबरी या फिर बहुमत में कम अंतर होगा, वहां बड़े स्तर पर पार्षदों में तोडफ़ोड़ करने की कोशिशें की जाएंगी। सूत्रों के मुताबिक ऐेसे में निकाय प्रमुख के पदों पर बड़े नेता या फिर धनबल में मजबूत व्यक्ति को महापौर, सभापति और अध्यक्ष बनने का अवसर मिल सकता है।

बाड़ाबंदी पर रहेगा जोर…

निकाय प्रमुखों के चुनाव के बाद पार्षदों की बाड़ाबंदी पर विशेष जोर रहेगा। अपनी-अपनी पार्टी के पार्षदों की बाड़ाबंदी करने के बाद बहुमत के लिए पार्षदों को अपने पक्ष में करने को लेकर उच्च स्तर तक प्रयास होंगे। इन हालात में प्रदेश में राजनीतिक रूप से स्थिति बिगडऩे का हालात बन सकते हैं।

19 को हो सकती लॉटरी…

माना जा रहा है कि महापौर, सभापति और अध्यक्ष की सीटों के आरक्षण के लिए राज्य सरकार की ओर से 19 को लॉटरी निकाली जा सकती है। ऐसे में इस लॉटरी से पहले राज्य सरकार ने यह दूसरा बड़ा निर्णय लिया है।

आपराधिक व्यक्ति नहीं लड़ सकेंगे निकाय प्रमुख का चुनाव

निकाय प्रमुख के दावेदारों के लिए कुछ नियम और शर्तें भी लागू होंगे। उसके मुताबिक निकाय क्षेत्र का मतदाता होना आवश्यक होगा। इसके साथ ही आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं होनी चाहिए। किसी भी आपराधिक घटना में पुलिस की ओर से कोर्ट में चालान पेश नहीं किया गया हो।
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