नौ साल में एक कदम भी नहीं चले
-2011 में एलिवेटेड रोड के लिए बनाया था प्रस्ताव, अब तक शुरू नहीं हो सका काम
जयपुर. वाहनों की गति बढ़ाने और जाम से निजात दिलाने के लिए गोविंद मार्ग पर ऐलिवेटेड की एक मात्र उपाय है। इसको लेकर 2011 में जेडीए ने प्रस्ताव बनाया, मगर आज तक इसका मुहूर्त भी नहीं लग सका। यहां दो साल पहले जेडीए ने सर्वे कराया, जिसमें व्यस्ततम समय में यहां वाहनों की गति महज 17.85 किमी प्रति घंटा ही निकली। बाकी समय में वाहनों की गति 19 किमी प्रति घंटे के आस-पास थी। जेडीए के अधिकारी भी मानते हैं कि यहां पर एलिवेटेड रोड से ही लोगों की राह आसान की जा सकती है।2011 में कांग्रेस की सरकार ने पहली बार एलीवेटेड रोड बनाने के लिए प्रस्ताव रखा, लेकिन व्यापारियों के विरोध के चलते काम जेडीए ने आगे नहीं बढ़ाया। फिर भाजपा की सरकार आई तो इस प्रोजेक्ट पर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। स्थिति यह है कि नौ साल से एलीवेटेड रोड बनाने का प्रोजक्ट अटका हुआ है।
गोङ्क्षवद मार्ग के दोनों ओर पांच से छह लाख की आबादी है। बीते दो दशक में यहां तेजी से आबादी बढ़ी है और फ्लैट भी खूब बने हैं। दर्जन भर से अधिक रास्ते गोविंद मार्ग से मिलते हैं। ऐसे में लोगों की आवाजाही भी खूब रहती है। शाम को जाम लगने के साथ आस-पास की कॉलोनियों में भी परेशानी का दौर शुरू हो जाता है।
व्यापारियों का दर्द: एलीवेटेड रोड बनी तो बाजार खत्म हो जाएगा। विकल्प: भारी और बड़े वाहनों को एलीवेटेड रोड से गुजरने दें और छोटे वाहनों को नीचे से जाने दिया जाए।
————–
-13 नवम्बर को स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर बैठक हुई और उसमें यह निर्णय लिया गया कि एलीवेटेड रोड के लिए स्मार्ट सिटी जेडीए को पैसे देगा -200 करोड़ रुपए ऐलीवेटेड और 50 करोड़ रुपए एसएमएस की भूमिगत पार्किंग में होंगे खर्च
-10 दिन पहले जेडीए ने पत्र लिख विस्तृत कार्ययोजना बनाने के लिए मांगे पैसे, नहीं मिला जवाब
600 बस शामिल हैं इनमें, जो दिल्ली-आगरा की ओर जाती हैं **********************************************
झूठा सपना दिखाया, आसान नहीं स्मार्ट सिटी से पैसा लेना
सूत्रों की माने तो कुछ महीने पहले स्वायत्त शासन विभाग के तत्कालीन सचिव सिद्धार्थ महाजन ने नियमों का हवाला दे कर क्षेत्र आधारित विकास से बाहर के कामों को मंजूरी देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद उन्हें यहां से हटाकर भवानी सिंह देथा को जिम्मेदारी दी गई। देथा ने नियमों को अनदेखा कर बोर्ड मीटिंग में फैसले तो ले लिए, लेकिन इन फैसलों को लेकर अभी तक स्मार्ट सिटी आगे नहीं बढ़ पाया है।
—————– ऐलिवेटेड और एसएमएस की भूमिगत पार्किंग के बारे में मैं कुछ नहीं बता सकता। इस बारे में आप स्वायत्त शासन विभाग के सचिव से बात कर लें। वही इस बारे में बताएंगे।
-लोकबंधु, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, स्मार्ट सिटी