प्रदेश में आटा, बेसन, दाल और तेल मिलों का संचालन जारी है। अब सरकार साबुन, सेनेटाइजर, पैकिंग, मास्क, फार्मा, डेयरी प्लांट, फ्रूट ज्यूस आदि यूनिटों को अनुमति देने जा रही है। ऐसी इकाई में कार्मिकों को स्थानीय आवास से इकाई तक ही आने-जाने की अनुमति होगी। इकाई में स्वच्छता, सेनेटाइजेशन, संक्रमण रोकने के आवश्यक उपाय की सख्ती से पालना करनी होगी। अग्रवाल ने बताया कि एक ही जिले मेें रीको अधिकृत क्षेत्रों के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में स्थित इकाइयों के लिए संबंधित जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक अनुमति जारी करेंगे।
जयपुर. फैडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहा कि लॉकडाउन में एमएसएमई सेक्टर को राहत देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार को एमएसएमई रिलीफ एक्ट 2020 को लागू करना चाहिए, इस अधिनियम के तहत राष्ट्रीय संकट के दौरान भारतीय एमएसएमई व नियोक्ताओं की मदद करने के लिए लाभ प्रदान करना चाहिए। इसमें 100 या उससे कम कर्मचारियों के नियोक्ता अपनी मासिक औसत लागत का 2.5 गुना तक उधार ले सकते हैं। वहीं गैर-जरूरी सामान के विनिर्माण को भी अनुमति दी जानी चाहिए। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब सहित कई राज्यों ने पहले ही गैर-जरूरी सामान के निर्माण के लिए नीति की घोषणा की है।
मध्यप्रदेश में लॉक डाउन होने से फार्मा सेक्टर के अलावा दाल चावल-अनाज प्रोसेसिंग करने वाले उद्योग ही चल रहे हैं। बाकी उद्योग बंद है। इससे यहां भी श्रमिकों का पलायन जारी है। उद्योग संगठनों का कहना है कि 14 तारीख के पहले तक उद्योग शायद ही शुरू हो सके। वहीं छत्तीसगढ़ में 90 फीसदी से अधिक उद्योग बंद हैं। हालांकि राज्य सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने साफ किया है कि छूट प्राप्त उद्योगों में नियमित व अनियमित कर्मचारियों का वेतन समय पर दिया जाए। वर्तमान में उद्योगों के जारी रखने को लेकर किसी तरह का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। लॉक-डाउन की अवधि तक यह दिशा-निर्देश लागू रहेगा।