राजस्थान बहती हुई हवाओं एवं अनुपयोगी भूमि की प्रचुरता वाला प्रदेश है। यहां सौर एवं पवन ऊर्जा के लिए आधारभूत संसाधनों की प्रचुरता के कारण सौर एवं पवन ऊर्जा के साथ हाइब्रिड ऊर्जा के दोहन के लिए भी अनुकूल परिस्थितियॉं उपलब्ध हैं। राज्य में अक्षय ऊर्जा संसाधनों की प्रचुरता के कारण अक्षय ऊर्जा विकासकर्ताओं एवं निवेशकर्ताओं के लिए यह पसंदीदा गंतव्य स्थान है। प्रदेश में सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए 142 गीगावॉट एवं पवन ऊर्जा के लिए 127 गीगावॉट की क्षमता का आंकलन किया गया है।
वर्तमान में राज्य में 10 हजार मेगावॉट से अधिक क्षमता के अक्षय ऊर्जा संयंत्र स्थापित किये जा चुके हैं। जिसमें 5552 मेगावॉट के सौर ऊर्जा संयंत्र, 4338 मेगावॉट क्षमता के पवन ऊर्जा संयंत्र एवं 120 मेगावॉट क्षमता के बायोमास ऊर्जा संयंत्र सम्मिलित हैं। राज्य में अक्षय ऊर्जा के संयंत्रों की स्थापना की क्षमता, कुल स्थापित क्षमता का लगभग 35 प्रतिशत है। डा.ॅ कल्ला ने अक्षय ऊर्जा विकासकर्ताओं का यह भी आवहन किया कि वह प्रदेश में आयें, निवेश करें, राज्य की नीतियों का लाभ उठाएंं और अक्षय ऊर्जा के दोहन मे अपना योगदान देकर ऊर्जा के सतत् विकास, पर्यावरण संरक्षण, रोजगार सृजन एवं देश की विकास दर की वृद्धि में अपना योगदान देवें। राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के अध्यक्ष एवं
प्रबन्ध निदेशक डा0 सुबोध अग्रवाल द्वारा अवगत कराया गया कि सरकार द्वारा दिसम्बर 2019 में जारी की गई राजस्थान सौर ऊर्जा नीति – 2019 में राजस्थान प्रदेश में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में निजी निवेशकों को प्रदेश में अपनी अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना करने हेतु निवशकों को अनेक सुविधाऎं एवं छूट प्रदान की गई है।
राज्य में सबसे बड़ा सोलर पार्क
राज्य में जोधपुर जिले के भडला में 2245 मेगावॉट क्षमता का सोलर पार्क स्थापित किया गया है, जो कि क्षमता की दृष्टि से विश्व का सबसे बडा सोलर पार्क है। राज्य में 13641 मेगावॉट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्रों एवं 1878 मेगावॉट क्षमता के हाइब्रिड ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना का कार्य प्रगति पर है।निवेश के लिए अनुकूल नीतियां
प्रदेश में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश के लिए अनुकूल नीतियों एवं परिस्थितियों के कारण निजी एवं केन्द्र सरकार के कई राजकीय उपक्रमों द्वारा अपने निजी निवेश से प्रदेश में अपनी अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित कर प्रतिस्पद्धरत्मक दरों पर विद्युत विक्रय करने को सहमत हैं। परिणास्वरूप हाल ही में ’’सोलर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया’’ द्वारा राजस्थान डिस्कॉम्स के लिए 1070 मेगावॉट की सौर ऊर्जा से उत्पादित विद्युत की दर 2 रुपए प्रति यूनिट आई है, जो कि अब तक की सबसे कम दर है।
अलग फीडर बनाने पर विचार
ऊर्जा मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार द्वारा प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों और कृषकों हेतु सामान्य उपभोक्ताओं से पृथक फीडर बनाये जाने पर विचार किया जा रहा है। जिससे कि किसानों को सौर ऊर्जा के माध्यम से दिन के समय में भी प्रर्याप्त मात्रा में विद्युत की आपूर्ति हो सके।