वैसे तो दुनिया में ओपिनियन पोल का चलन 1940 में शुरू हुआ था, लेकिन भारत में इसकी शुरुआत 1960 में हुई थी. सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज (CSDS) ने इसकी शुरुआत की थी जबकि इसे 1980 में जमीनी स्तर पर उतारने की कोशिश की गई थी. उस वक्त के पत्रकार प्रणव रॉय ने मतदाताओं की नब्ज को टटोलने के लिए एक सर्वे किया था. इसी को देश में एग्जिट पोल की शुरुआत कहा जाता है. लोकसभा चुनाव 1996 में सीएसडीएस के एग्जिट पोल ने खंडित जनादेश के संकेत दिए थे. जब चुनाव के परिणाम आए तो ये एकदम सटीक पाए गए. ये वही चुनाव था जिसमें बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. हालांकि उस दौरान वे बहुमत से दूर थी. उस समय अटल बिहारी वाजपेयी ने सरकार बनाई थी, लेकिन उनकी सरकार 13 दिन में ही गिर गई थी. इसके बाद एचडी देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल ने मिलकर यूपीए की सरकार बनाई थी.
2004 आम चुनाव सर्वे एजेंसी एनडीए कांग्रेस+ अन्य
आज तक -ओआरजी मार्ग 248 190 105
एनडीटीवी -एसी नीलसन 240 200 110
सहारा- डीआरएस 270 175 96
स्टार न्यूज- सी वोटर 270 170 90
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2009 आम चुनाव सर्वे एजेंसी यूपीए एनडीए अन्य
सीएनएन आईबीएन 185 175 150
स्टार नीलसन 199 196 136
इंडिया टीवी- सी वोटर 195 189 113
………………………….. .2014 आम चुनाव सर्वे एजेंसी यूपीए एनडीए अन्य
इंडिया टीवी- सी वोटर 107 289 147
एबीपी न्यूज- नीलसन 97 281 165
टाइम्स नाओ- ओआरजी 148 249 146
सीएनएन आइबीएन- लोकनीति 97 276 155
न्यूज24 -चाणक्य 70 340 133
औसत 104 210 149
परिणाम 60 336 147
अनुमान से अंतर -44 +126 -2
अनुमानों को वास्तविक परिणाम से तुलना करें तो सीटों का अंतर 45 से 126 तक रहा। अपवाद रहने वाली एजेंसियां हर बार नई होती हैं, इसलिए पिछली बार जिसका अनुमान वास्तविकता के करीब था, उसका प्रदर्शन अगले चुनाव में भी इतना खरा हो, कहा नहीं जा सकता।