जयपुर

महंगे आलू को नवरात्रा की मांग का लगेगा तड़का

बरसात का सीजन ( rainy season ) खत्म होने के बाद सब्जियों (crop of vegetables ) की नई फसल की आवक बढऩे के साथ तमाम सब्जियों की कीमतों में थोड़ी नरमी आ सकती है। मगर आलू की महंगाई ( potato inflation ) से बहरहाल राहत मिलने के आसार नहीं है, क्योंकि आगे नवरात्र शुरू हो रहा है और इस दौरान आलू की खपत हर साल बढ़ जाती है। मंडी में बीते कुछ दिनों से आलू का खुदरा दाम 40 से 50 रुपए प्रति किलो चल रहा है। वहीं, खास क्वालिटी के आलू का खुदरा भाव ऊंचा है।

जयपुरOct 06, 2020 / 01:15 pm

Narendra Singh Solanki

महंगे आलू को नवरात्रा की मांग का लगेगा तड़का

जयपुर। बरसात का सीजन खत्म होने के बाद सब्जियों की नई फसल की आवक बढऩे के साथ तमाम सब्जियों की कीमतों में थोड़ी नरमी आ सकती है। मगर आलू की महंगाई से बहरहाल राहत मिलने के आसार नहीं है, क्योंकि आगे नवरात्र शुरू हो रहा है और इस दौरान आलू की खपत हर साल बढ़ जाती है। मंडी में बीते कुछ दिनों से आलू का खुदरा दाम 40 से 50 रुपए प्रति किलो चल रहा है। वहीं, खास क्वालिटी के आलू का खुदरा भाव ऊंचा है।
आलू व्यापारी बताते हैं कि नवरात्र के दौरान व्रत में लोग आलू खाते हैं, जिससे आलू की खपत इस दौरान बढ़ जाती है। नवरात्र इस साल 17 अक्टूबर से आरंभ हो रहा है और 25 अक्टूबर को दशहरे का त्योहार है, जिसके साथ ही नवरात्र समाप्त हो जाएगा। आलू के दाम में बढ़ोतरी की मुख्य वजह आवक में कमी है। आलू की आवक पिछले साल से तकरीबन 40 से 50 फीसदी कम हो रही है। वहीं, कीमतों में पिछले साल से दोगुना से ज्यादा का इजाफा हो गया है।
्रबताया जा रहा है कि आलू की महंगाई देख अच्छे भाव की उम्मीदों में किसानों ने आलू की खेती में पूरी ताकत झोंकी है। उत्तर-भारत में आलू की बुवाई शुरू हो चुकी है। रबी सीजन में आमतौर पर आलू की बुवाई सितंबर के आखिर में शुरू होती है और नवंबर तक चलती है, जबकि हार्वेस्टिंग दिसंबर से मार्च तक चलती है। हालांकिए कारोबारी बताते हैं कि अगैती फसल की आवक नवंबर के आखिर में शुरू हो सकती है। बीते फसल वर्ष में आलू का उत्पादन ज्यादा होने के बाजवूद आलू के दाम में इस साल काफी बढ़ोतरी हुई है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी दूसरे अग्रिम उत्पादन के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019-20 के दौरान देश में आलू का उत्पादन 513 लाख टन हुआ, जबकि एक साल पहले 2018-19 में देश में आलू का उत्पादन 501.90 लाख टन हुआ था। यही नहीं, कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते होटल, रेस्तरां, ढाबा आदि काफी समय तक बंद रहने पर भी सब्जियों की खपत में गिरावट रही है। आलू की महंगाई का असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ा है, क्योंकि बरसात के दौरान आमतौर पर हरी सब्जियां जब महंगी हो जाती हैं तो आम लोगों के लिए आलू ही एक सहारा बच जाता है, लेकिन इस बार उनको आलू भी महंगे भाव पर मिल रहा है।
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