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नबाम टुकी ने मुख्यमंत्री के तौर पर फिर पदभार संभाला

Published: Jul 14, 2016 12:20:00 am

टुकी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए नई दिल्ली स्थित अरुणाचल भवन में मुख्यमंत्री के तौर पर पदभार संभाला

Nabam Tuki

Nabam Tuki

नई दिल्ली/ ईटानगर। नबाम टुकी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार बुधवार को अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री का पदभार फिर से ग्रहण कर लिया। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, टुकी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए नई दिल्ली स्थित अरुणाचल भवन में मुख्यमंत्री के तौर पर पदभार संभाला।

इस संबंध में टुकी की ओर से कार्यवाहक राज्यपाल तथागत राय को सूचना दे दी गई है। टुकी ने राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से भी बातचीत की। वह गुरुवार को अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर पहुंचेंगे। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने ऐतिहासिक फैसले में अरुणाचल प्रदेश में 15 दिसम्बर 2015 की स्थिति बहाल करने को कहा है। इस तिथि को वहां टुकी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी।

इस फैसले की सराहना करते हुए विपक्ष ने इसे लोकतंत्र की जीत करार दिया है। न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर, न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर, न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति एन. वी. रमना की सदस्यता वाली संविधान पीठ ने प्रदेश में सरकार की 15 दिसंबर, 2015 की जो स्थिति थी, उसे बहाल करने का निर्देश दिया। इस तरह तुकी फिर से मुख्यमंत्री के रूप में बहाल हो गए।

सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य में लागू राष्ट्रपति शासन और राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा के उन तमाम फैसलों को रद्द कर दिया, जिसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था। राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाकर 16 दिसंबर को तुकी सरकार को बर्खास्त कर दिया था। पीठ ने राज्यपाल राजखोवा के फैसले को अवैध एवं संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करने वाला बताया।

फैसले का अध्ययन करेगी सरकार
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कोई टिप्पणी करने से पहले सरकार सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का विस्तार से अध्ययन करेगी। उन्होंने कहा कि अदालत ने वर्ष 2015 के दिसंबर वाली स्थिति बहाल करने का आदेश दिया है और उसके बाद बहुत सारी प्रगति हुई है, जिसमें राष्ट्रपति शासन की वापसी और कालिखो पुल के नेतृत्व में एक नई सरकार ने सत्ता भी संभाली है।

पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे पुल
उन्होंने कहा कि जो कुछ किए जाने की जरूरत है, उस पर विस्तृत रूप से सोच-विचार करना है। प्रसाद ने इस बात को खारिज कर दिया कि केंद्र ने इस मामले में कानून का कोई कुप्रबंधन किया है। दूसरी तरफ गुवाहाटी में कालिखो पुल ने कहा कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है और वह सर्वोच्च न्यायालय में एक पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे। उन्होंने कहा कि शक्ति परीक्षण से साबित हो जाएगा कि संख्याबल उनकी सरकार के साथ है।

खुश नजर आ रहे तुकी ने सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले को एक ऐतिहासिक बताया और कहा कि न्यायालय का यह आदेश देश में स्वस्थ लोकतंत्र की रक्षा करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक एवं उल्लेखनीय फैसला है। तुकी ने कहा, इस फैसले के अनुसार हमारी सरकार बहाल हो गई है। मैं अपने राज्य जाऊंगा और कांग्रेस के सभी 47 विधायकों से बात करूंगा। हम लोग बैठक करेंगे।

मोदी सरकार के लिए दूसरा झटका
उत्तराखंड के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के लिए इसे एक और झटका माना जा रहा है। मई में सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड की बर्खास्त हरीश रावत सरकार को इसी तरह बहाल कर दिया था।

सोनिया से मिले तुकी
तुकी ने अदालत का फैसला आने के बाद सोनिया गांधी से मुलाकात की। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि यह फैसला केंद्र सरकार को सत्ता का और दुरुपयोग करने से रोकेगा। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) को ‘लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने’ के लिए सर्वोच्च न्यायालय को धन्यवाद दिया।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सर्वोच्च न्यायालय के बुधवार के आदेश को ‘(प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी की तानाशाह सरकार’ के लिए करारा जवाब बताया है। आम आदमी पार्टी (आप) के नेता ने ट्वीट कर कहा, सर्वोच्च न्यायालय का फैसला तानाशाह मोदी सरकार को करारा जवाब है। उम्मीद है कि मोदीजी इससे सबक लेंगे और लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकारों के मामलों में हस्तक्षेप बंद करेंगे।

माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार को बहाल करने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की सराहना करते हुए (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी की सरकार से गैर भाजपा शासित राज्यों में केंद्रीय शासन थोपने की ‘उनकी बढ़ती निरंकुशवादी प्रवृत्ति’ छोडऩे के लिए कहा।

माकपा ने कहा, उत्तराखंड के बाद शीर्ष अदालत का फैसला भाजपा नीत केंद्र सरकार की राजनीतिक नैतिकता व जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है। भाजपा ने इन आरोपों पर साहस के साथ मोर्चा संभालते हुए कहा है कि संविधान पीठ का यह फैसला उसके लिए झटका नहीं है।

संविधान पीठ ने राज्यपाल राजखोवा ने जिस तरह से निर्देश दिया और जिस तरह से उन्होंने राज्य विधानसभा के सत्र को पहले ही बुलाया और उसकी कार्यवाही संचालित की, उनके सभी कार्यों और आदेशों को खारिज कर दिया।

कांग्रेस को तब झटका लगा था, जब उसके 21 विधायकों ने सरकार के खिलाफ बगावत कर दी थी। भाजपा के 11 विधायकों ने उन बागी विधायकों का साथ दे दिया था। बाद में 14 बागी कांग्रेस विधायक अयोग्य करा दे दिए गए।

राज्यपाल ने राज्य विधासभा का सत्र पहले ही बुला दिया, जिससे विपक्षी विधायकों एवं बागियों ने तुकी को, विधानसभा अध्यक्ष नाबाम रेबिया को एक सामुदायिक केंद्र और एक होटल में चले विधानसभा सत्र में पद से हटा दिया। वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राज्य की 60 सीटों में 42 सीटें जीती थीं। पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल के तब मात्र पांच विधायक थे, अब कांग्रेस के बागी विधायकों को मिलाकर यह संख्या 30 हो गई है।
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