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आखिर क्यों दुष्कर्मी संतों और सत्ताधीशों के रिश्ते!

locationजयपुरPublished: Sep 23, 2017 08:26:51 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

ये क्या बात हुई कि आपको यह पता नहीं था कि आप जिसके सामने रहे हैं, जिसका आशीर्वाद ले रहे हैं या जिसे भगवान मान रहे हैं, वो हैवान निकलेगा।

falahari maharaj case

Falahari Maharaj

राजेंद्र शर्मा/जयपुर। ये क्या बात हुई कि आपको यह पता नहीं था कि आप जिसके सामने रहे हैं, जिसका आशीर्वाद ले रहे हैं या जिसे भगवान मान रहे हैं, वो हैवान निकलेगा। यह तर्क आम आदमी के लिए उचित हो सकता है, लेकिन उनके लिए नहीं जो सत्ता में रहते और बने रहने के लिए ऐसे दुराचारियों को पनाह देते हैं, उनको भगवान का दर्जा दिलवा या अपने फायदे के लिए ऐसे हैवानों के कृत्रिम आभामंडल का इस्तेमाल करते हैं। क्या आसाराम, क्या रामरहीम और क्या फलाहारी बाबा। ऐसा कोई कैसे मान सकता है कि सत्ताधीशों को पता नहीं था कि इनके कारनामे क्या हैं, ये फर्जी संत कितने गिरे हुए हैं, जरूर होगा। पता नहीं था तो सत्ता के खुफिया तंत्र , पुलिस की इससे बड़ी नाकामी या अयोग्यता हो ही नहीं सकती। और पता था, तो इससे बड़ा धोखा जनता के साथ दुनिया के किसी भी लोकतंत्र में नहीं हो सकता।
बाबा रामरहीम का चरित्र तो सर्वविदित था
बाबा रामरहीम का तो मामला पूरी तरह साफ ही था ना। उस पर दो साध्वियों से बलात्कार, एक पत्रकार समेत दो लोगों की हत्या जैसे मामले 2002 में दर्ज हो चुके थे। सीबीआई जांच कर रही थी। अदालत में 2008 में चार्जशीट पेश हो चुकी थी। इसके बावजूद 15 अगस्त 2017 को इस बलात्कारी बाबा के जन्मदिन के शुभअवसर पर हरियाणा की भाजपा सरकार के दो मंत्री रामविलास शर्मा और अनिल विज उसका आशीर्वाद लेने डेरा सच्चा सौदा में गए, बधाई के साथ सरकार की तरफ से उसे 51 लाख रुपए भेंट किए। इसके 13वें दिन सीबीआई अदालत ने इस बलात्कारी बाबा को दो साध्वियों से बलात्कार के जुर्म में 10-10 साल यानी कुल 20 साल की कारावास और 65 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। जाहिर है, सत्ताधीशों को पता था, यह बाबा क्या कर चुका है, क्या कर रहा है और इसके साथ क्या हो सकता है। फिर भी, इसे दुस्साहस ही कहा जाएगा कि उसके यानी एक बलात्कारी के चरणों में झुके रहे। क्यों! सीधा-सा जवाब है, वोट के लिए। और तो और, इसे तो पराकाष्ठा ही कहा जा सकता है कि हरियाणा सरकार के मंत्री अनिल विज ने तो इस बलात्कारी को दोषी ठहराए जाने के दिन पांच राज्यों में तोडफ़ोड़, आगजनी, हमले करने वाले दंगाइयों में से जो पुलिस की गोली से मारे गए उनके परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।
आसाराम की करतूतें क्यों नहीं थी मालूम!
कमोबेश यही बात आसाराम उर्फ आसूमल सिरूमलानी के लिए कही जा सकती है। क्या बरसों से संसद, विधानसभा और सत्ता के सिंहासनों को सुशोभित कर चुके जनता के कथित रहनुमाओं को मालूम नहीं था कि एक अनपढ़ लड़का जो घर छोड़ कर भागा, छोटा-मोटा काम करके पेट पालने वाला लड़का, बड़ा होकर संत और कथावाचक कैसे बन गया, कैसे रोडपति से करोड़पति बन गया, कैसे जमीनें हासिल कीं, कैसे बड़े-बड़े आश्रम बनाए और उन आश्रमों में क्या-क्या गुल खिलाए!
जिस खुफिया तंत्र के पास पाकिस्तान, चीन, अमेरिका तक की खबरें होती हैं, उसे यह सब मालूम नहीं था, सो उसके इशारे पर उसके भजनों के दौरान शुचिता की बात करने वाले बड़े-बड़े नेता झूमते थे, जिनके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं। कहते हैं न, पाप का घड़ा भरता है, असत्य कभी नहीं छुपता। वही हुआ, पाप का घड़ा भरते ही आसूमल उर्फ आसाराम 31 अगस्त 2013 से जोधपुर जेल में है। उसे पीडोफीलीया यानी बाल यौनशोषण बीमारी से ग्रस्त होने के प्रमाण भी अदालत में पेश किए गए। उस पर नाबालिग बच्ची के साथ ही सूरत की दो बहनों से दुष्कर्म के भी मामले चल रहे हैं।
धरा गया रसूखदार फलाहारी
राजस्थान की राजधानी जयपुर से एलएल.बी. करने वाली छात्रा के साथ दुष्कर्म के आरोप में स्वयंभू जगद्गुरु स्वामी कौशलेंद्र प्रपन्नाचारी फलाहारी महाराज को अलवर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और अदालत ने उसे 15 दिन के लिए जेल भेज दिया। यह इसलिए संभव हो पाया कि आसाराम और रामरहीम के दुष्कर्म मामलों की पीड़िताओं की तरह ही फलाहारी बाबा के दुष्कर्म की शिकार हुई पीडि़ता भी सत्य पर अड़ी रही। उसके बिलासपुर में मजिस्ट्रेट के सामने धारा 164 और अलवर में पुलिस के समक्ष धारा 161 के बयान, मौका तस्दीक आदि के कारण आखिरकार पुलिस को इस रसूखदार बाबा को गिरफ्तार करना ही पड़ा।
पुलिस ने बाबा फलाहारी से पूछताछ की और गिरफ्तार कर निजी अस्पताल से सरकारी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया है। गिरफ्तारी के डर से बाबा ने बीमारी का बहाना बनाया था और अस्पताल में भर्ती हो गया था। यहां भी पेच देखिए, बाबा का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि बाबा अब बिल्कुल ठीक है। हम प्रशासन व उनके अनुयायियों को कह चुके हैं कि उन्हें डिस्चार्ज करा लें, लेकिन पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेते पहले तो सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया बाद में अरेस्ट किया और कोर्ट के आदेश पर उसे 15 दिन के लिए जेल भेज दिया।
हालांकि यह सवाल शाश्वत है कि पुलिस रिमांड क्यों नहीं लिया गया? क्या बिना रिमांड फलाहारी ने अपराध कबूल कर लिया? या फिर पुलिस ने उससे पूछताछ करना बलात्कार के साक्ष्य उसकी निशानदेही पर बरामद करना मुनासिब नहीं समझा? खैर, बाबा रसूखदार है यह सर्वविदित है। अलवर एडिशनल एसपी पारस जैन का कहना है किफलाहारी को धारा 376 (2एच) और 506 के तहत अरेस्ट किया गया है। इसके बाद बाबा का मेडिकल टेस्ट करवाया गया। यहां इसका फिजिकल और मेंटल टेस्ट किया गया। इसके अलावा पोटेंसी टेस्ट भी हुआ। सभी टेस्ट में बाबा फिट निकला। यानी फलाहारी की नपुंसक होने की बात झूठी निकली।
बहरहाल, जनता के समझ में आने लगा है कि जिस फर्जी और दुष्कर्मी संत के सत्ताधीशों से संबंध प्रगाढ़ रहे, उनके पकड़े जाने के बाद उनसे फायदा लेने वाले राजनेताओं ने उनकी भत्र्सना तक करने की हिम्मत नहीं की। और तो और, उनकी हिम्मत इन संबंधों को नकारने की भी नहीं हुई। गौर कर लें, रेपिस्ट रामरहीम, आसाराम और फलाहारी के मामलों पर।
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