बाबा रामरहीम का तो मामला पूरी तरह साफ ही था ना। उस पर दो साध्वियों से बलात्कार, एक पत्रकार समेत दो लोगों की हत्या जैसे मामले 2002 में दर्ज हो चुके थे। सीबीआई जांच कर रही थी। अदालत में 2008 में चार्जशीट पेश हो चुकी थी। इसके बावजूद 15 अगस्त 2017 को इस बलात्कारी बाबा के जन्मदिन के शुभअवसर पर हरियाणा की भाजपा सरकार के दो मंत्री रामविलास शर्मा और अनिल विज उसका आशीर्वाद लेने डेरा सच्चा सौदा में गए, बधाई के साथ सरकार की तरफ से उसे 51 लाख रुपए भेंट किए। इसके 13वें दिन सीबीआई अदालत ने इस बलात्कारी बाबा को दो साध्वियों से बलात्कार के जुर्म में 10-10 साल यानी कुल 20 साल की कारावास और 65 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। जाहिर है, सत्ताधीशों को पता था, यह बाबा क्या कर चुका है, क्या कर रहा है और इसके साथ क्या हो सकता है। फिर भी, इसे दुस्साहस ही कहा जाएगा कि उसके यानी एक बलात्कारी के चरणों में झुके रहे। क्यों! सीधा-सा जवाब है, वोट के लिए। और तो और, इसे तो पराकाष्ठा ही कहा जा सकता है कि हरियाणा सरकार के मंत्री अनिल विज ने तो इस बलात्कारी को दोषी ठहराए जाने के दिन पांच राज्यों में तोडफ़ोड़, आगजनी, हमले करने वाले दंगाइयों में से जो पुलिस की गोली से मारे गए उनके परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।
कमोबेश यही बात आसाराम उर्फ आसूमल सिरूमलानी के लिए कही जा सकती है। क्या बरसों से संसद, विधानसभा और सत्ता के सिंहासनों को सुशोभित कर चुके जनता के कथित रहनुमाओं को मालूम नहीं था कि एक अनपढ़ लड़का जो घर छोड़ कर भागा, छोटा-मोटा काम करके पेट पालने वाला लड़का, बड़ा होकर संत और कथावाचक कैसे बन गया, कैसे रोडपति से करोड़पति बन गया, कैसे जमीनें हासिल कीं, कैसे बड़े-बड़े आश्रम बनाए और उन आश्रमों में क्या-क्या गुल खिलाए!
राजस्थान की राजधानी जयपुर से एलएल.बी. करने वाली छात्रा के साथ दुष्कर्म के आरोप में स्वयंभू जगद्गुरु स्वामी कौशलेंद्र प्रपन्नाचारी फलाहारी महाराज को अलवर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और अदालत ने उसे 15 दिन के लिए जेल भेज दिया। यह इसलिए संभव हो पाया कि आसाराम और रामरहीम के दुष्कर्म मामलों की पीड़िताओं की तरह ही फलाहारी बाबा के दुष्कर्म की शिकार हुई पीडि़ता भी सत्य पर अड़ी रही। उसके बिलासपुर में मजिस्ट्रेट के सामने धारा 164 और अलवर में पुलिस के समक्ष धारा 161 के बयान, मौका तस्दीक आदि के कारण आखिरकार पुलिस को इस रसूखदार बाबा को गिरफ्तार करना ही पड़ा।