नरमा-कपास की बुआई में जुटे किसान
काश्तकारों को चाहिए कि वे बुआई से पहले अच्छी तरह से खेत को पानी दें

जयपुर।
किसान रबी की कटाई के बाद अब खेतों में फिर से बुआई को लेकर जुटने लगे हैं। वे खरीफ की फसल बुआई की तैयारियां कर रहे हैं। इसके लिए खेतों में पानी देने और नई बुआई की व्यवस्थाएं की जा रही है। काश्तकार के लिए कोटन, कपास की खेती और बुआई के लिए यह उपयुक्त समय है। बीकानेर, पूगल, खाजूवाला, कोलायत, नोखा क्षेत्र में कपास की खेती होती है। नहरी क्षेत्र के अलावा आजकल ट्यूबवैल से होने वाली खेती में भी इसकी बुआई की जाती है। इसके अलावा संभाग में श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ में इसकी बहुतायत तौर पर खेती की जाती है।
इन दिनों काश्तकारों के लिए राहत की बात यह है कि उन्हें सिंचाई के लिए नहरी पानी भी मिल रहा है। नहरी पानी का उपयोग काश्तकार नरमा और कपास की खेती में कर सकेंगे। पांच मई से कपास की बुआई का उपयुक्त समय शुरू हो गया है। इसमें वे नरमा (अमेरिकन कपास भी कहा जाता है) और देशी बीटि कोटन की बुआई करेंगे तो उसके लिए अनुकुल होगा। नरमा की चार किस्में प्रमुख है। इसकी बुआई का समय 1 से 20 मई तक है। इसमें बीज उपाचार के बाद बुआई की जाती है। इसमें प्रति बीघा चार किलो बीज बोए जाते हैं। यह फसल अक्टूबर-नवम्बर में पककर तैयार हो जाती है। बाजार में यह करीब छह हजार रुपए क्विंटल की दर से बिकती है। इसमें मई से अक्टूबर तक छह सिंचाई की जाती है। इसी तरह से अभी बीटि कोटन की बुआई के लिए समय उपयुक्त बताया गया है। इसके बीज भी उपचार कर खेतों में डाले जाते है। इसमें साढ़े चार किलो बीज प्रति बीघा से बुआई की जाती है। इसके साथ रिफ्यूज बीटि की बुआई भी होती है। बीटि कोटन की करीब आठ तरह की किस्में है। जिनकी बुआई के बाद छह सिंचाई करनी पड़ती है। इसकी फसल भी अक्टूबर-नव बर में तैयार होती है। इसमें बीटि की वॉयोशड, सिड, बीजी द्वितीय, आरसीएच, एमआरसीएच, जेकेसीएच सहित किस्में प्रमुख है।
बीकानेर कृषि विस्तार विभाग के सहायक निदेशक डॉ. राम किशोर मेहरा ने बताया कि काश्तकारों को चाहिए कि वे बुआई से पहले अच्छी तरह से खेत को पानी दें। जो अपनी मिल रहा है। इसके बाद इसी पहले सप्ताह में ही देशी बीटि कपास और नरमें की बुआई शुरू कर दें। इसके लिए यह सबसे उपयुक्त समय होगा।
अब पाइए अपने शहर ( Jaipur News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज