रजिस्ट्रार का यह कहना है कि बैंकों का उद्देश्य ऋण देकर किसान को विकास के लिए प्रोत्साहित करना है न कि उसे ऋण बनाना। किसान की आय में बढ़ोतरी तभी संभव है, जब किसान को जिस काम के लिए लोन दिया जा रहा है, उसका प्रभावी उपयोग हो सके। ऐसा होने पर ही किसान की आमदनी में बढ़ोतरी हो सकती है। आपको बता दें कि राज्य में भूमि विकास बैंकों की स्थापना किसानों को कृषि विकास के साथ ग्रामीण विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार के ऋण उपलब्ध करवाने के लिए की गई थी। राजस्थान में अभी 33 जिलो में 36 भूमि विकास बैंकों की 125 शाखा हैं। जिनके माध्यम से किसानों को दीर्घकालीन ऋण दिए जा रहे हैं। अभी भूमि विकास बैंकों के जरिए किसानों को जन मंगल आवास योजना, लघु सिंचाई योजना, विविधिकृत ऋण योजना, कृषियंत्रीकरण ऋण योजना के साथ अकृषि ऋण योजना के तहत भूमि रहन में रखकर ऋण दिए जा रहे हैं।
आमदनी बढ़ाने की कवायद में जुटा विभाग
—किसानों की आमदनी बढ़ाने की कवायद में जुटा सहकारिता विभाग
—किसानों को कृषि के साथ ही अकृषि कामकाजों के लिए मिलेगा ऋण
—आधुनिक खेती के संसाधनों के लिए लोन में मिलेगी प्राथमिकता
—रजिस्ट्रार सहकारिता डॉ.नीरज कुमार पवन ने भूमि विकास बैंकों को दिए हैं निर्देश
—योजना बनाकर किसानों को ऋण वितरण के दिए हैं निर्देश
—किसानों को विकास कामकाजों के लिए प्राथमिकता से मिलेगा लोन
—किसानों को उद्यमशील बनाने के लिए बैंकों को करना होगा काम
—भूमि रहन में रहकर बैंक देते हैं किसानों को दीर्घकालीन ऋण
—नाबार्ड की योजनाओं के तहत ऋण योजनाओं में मिलती है सब्सिडी