इन फसलों की बात करें तो किसान पहले जमीन में ऐसी उपज लगा सकते हैं जो कि जड़ रुपए में उगती है। यानि की जमीन के अंदर जो उगती है। जैसे कि अदरक व अन्य उपज। इसके बाद उसी भूमि में सब्जी, फूलदार पौधे लगाए जा सकते हैं। इस भूमि में आप चाहें तो सब्जियों की बेल भी लगा सकते हैं। इन तीनों उपजों के अलावा छायादार और फलदार वृक्ष भी इसी भूमि में मल्टी लेयर फार्मिंग के तहत आप लगा सकते हैं। इस तरह भूमि की कमी होने के बावजूद किसान भाई एक से अधिक उपज इस भूमि में लगाकर कई तरह के फायदों में रहने के साथ अपनी आमदनी भी बढ़ा सकते हैं। एक उदाहरण के तौर पर बात करें तो मल्टी लेयर फार्मिंग के तहत किसान भाई भूमि में अदरक, चौलाई, पपीता, करेला, कुंदरू लगा सकते हैं।
मल्टीलेयर फार्मिंग के फायदे
—इससे फसलों में कीट पतंगों का प्रकोप नहीं रहता..
— न ही भूमि में खरपतवार होने की समस्या होती है..
—एक फसल में जितनी खाद डालते हैं, उतनी ही खाद से चार से फसल हो जाती हैं..
—पानी भी एक फसल जितना ही खर्च होता है..
—मल्टीलेयर फार्मिंग से पानी की 70 फीसदी तक बचत होती है..
—आप खेत में बांस, तार और घास से मंडप तैयार कर सकते हैं..
—इस मंडप की लागत पॉली हाउस की तुलना में कम आती है..
—मल्टीलेयर फॉर्मिंग से किसानों की लागत चार गुना कम होती है..
—जबकि मुनाफा आठ गुना तक ज्यादा हो सकता है..
——मंडप बनाने से खेत चारों तरफ से ढका रहता है..
—जैविक खाद के इस्तमेलाल से निराई गुड़ाई का खर्चा भी बच जाता है..
मुनाफा ज्यादा, लागत कम
आपकाे बता दें कि विशेषज्ञों के मुताबिक मल्टीलेयर फॉर्मिंग से किसानों की लागत चार गुना तक कम हो जाती है, जबकि मुनाफा छह से आठ गुना तक बढ़ जाता है। मल्टीलेयर फार्मिंग में अगर हम खेत में एक साथ कई फसलें लेते हैं तो एक दूसरी फसल से एक दूसरे को पोषक तत्व मिल जाते हैं। इससे भूमि के साथ ही पानी, खाद का पूरा उपयोग हो जाता है। जमीन में खरपतवार भी नहीं निकलता है।