पांच बीघा जमीन खरीदी….
उपखंड मुख्यालय व आसपास के गांवों से सटी 100 बीघा गोचर भूमि है। यहां मवेशी विचरण करते थे। लोग मवेशियों को इस बणी में छोड़ जाते थे। इनमें सर्वाधिक गायें थीं। ये मवेशी फसलें खा जाते थे। किसानों ने हल निकालने के लिए समिति बनाई। बणी व अन्य गांवों के लोगों ने गोशाला बनाकर उसमें गायें रखने पर सहमति बनाई। इसके लिए बुहाना-भिर्र के पास 5 बीघा जमीन खरीदी। भिर्र गांव में कार्यरत पशु चिकित्सक नवीन धनखड़ यहां नि:शुल्क सेवा दे रहे हैं।
उपखंड मुख्यालय व आसपास के गांवों से सटी 100 बीघा गोचर भूमि है। यहां मवेशी विचरण करते थे। लोग मवेशियों को इस बणी में छोड़ जाते थे। इनमें सर्वाधिक गायें थीं। ये मवेशी फसलें खा जाते थे। किसानों ने हल निकालने के लिए समिति बनाई। बणी व अन्य गांवों के लोगों ने गोशाला बनाकर उसमें गायें रखने पर सहमति बनाई। इसके लिए बुहाना-भिर्र के पास 5 बीघा जमीन खरीदी। भिर्र गांव में कार्यरत पशु चिकित्सक नवीन धनखड़ यहां नि:शुल्क सेवा दे रहे हैं।
यों की जा रही है व्यवस्था….
-भिर्र गांव से कुछ दूर स्थित उक्त श्रीकृष्ण गोशाला में गायों के लिए चारे-पानी की व्यवस्था जन सहयोग से हो रही है।
-आसपास के गांवों के लोग स्वेच्छा से चारा मुहैया कराते है। कम पडऩे पर पंजाब से मंगवाया जाता है।
-गायों को पशुपालक कुछ समय के लिए खाली पड़ी बणी में चराने के लिए भी ले जाते हैं।
-गायों के देखरेख के लिए पांच कर्मचारी हैं। कार्मिकों का वेतन गायों के दूध की बिक्री एवं जनसहयोग से मिली राशि से दिया जाता है।
-भिर्र गांव से कुछ दूर स्थित उक्त श्रीकृष्ण गोशाला में गायों के लिए चारे-पानी की व्यवस्था जन सहयोग से हो रही है।
-आसपास के गांवों के लोग स्वेच्छा से चारा मुहैया कराते है। कम पडऩे पर पंजाब से मंगवाया जाता है।
-गायों को पशुपालक कुछ समय के लिए खाली पड़ी बणी में चराने के लिए भी ले जाते हैं।
-गायों के देखरेख के लिए पांच कर्मचारी हैं। कार्मिकों का वेतन गायों के दूध की बिक्री एवं जनसहयोग से मिली राशि से दिया जाता है।
टिनशेड लगाया, बोरवेल खुदवाया—
भिर्र, सहड़, लाम्बी अहीर, सागा, कलाखरी, झांझा, बुहाना जयसिंह पुरा, सुलताना अहीरान, खटोटी की ढाणी आदि के ग्रामीणों ने सहयोग किया। पांच बीघा जमीन पर दस फीट ऊंची चारदीवारी बनवाई। खेळी, टिनशेड का निर्माण कराया। बोरवेल खुदवाया। गोशाला संचालित करने तक ग्रामीणों ने करीब एक करोड़ रुपए की राशि खर्च दी।
भिर्र, सहड़, लाम्बी अहीर, सागा, कलाखरी, झांझा, बुहाना जयसिंह पुरा, सुलताना अहीरान, खटोटी की ढाणी आदि के ग्रामीणों ने सहयोग किया। पांच बीघा जमीन पर दस फीट ऊंची चारदीवारी बनवाई। खेळी, टिनशेड का निर्माण कराया। बोरवेल खुदवाया। गोशाला संचालित करने तक ग्रामीणों ने करीब एक करोड़ रुपए की राशि खर्च दी।
इनका कहना है….
गोशाला में गायों की देखरेख जनसहयोग से हो रही है। समिति कृतसंकल्प है।
-ईश्वरमान, अध्यक्ष, श्रीकृष्ण गोशाला समिति
गोशाला में गायों की देखरेख जनसहयोग से हो रही है। समिति कृतसंकल्प है।
-ईश्वरमान, अध्यक्ष, श्रीकृष्ण गोशाला समिति