scriptलहलहाने लगी काले गेहूं की फसल, फायदे जानकर रह जाएंगे दंग | Farmers planted Black wheat in farm house, useful in many diseases | Patrika News

लहलहाने लगी काले गेहूं की फसल, फायदे जानकर रह जाएंगे दंग

locationजयपुरPublished: Feb 13, 2020 11:50:38 am

Submitted by:

SAVITA VYAS

हार्ट अटैक, कैंसर, एनीमिया, शुगर सहित कई बीमारियों में कारगर

लहलहाने लगी काले गेहूं की फसल, फायदे जानकर रह जाएंगे दंग

लहलहाने लगी काले गेहूं की फसल, फायदे जानकर रह जाएंगे दंग

जयपुर। राजस्थान के रेगिस्तानी धोरों में इन दिनों कई तरह की ऑर्गेनिक खेती की जा रही हैं। किसानों ने परम्परागत खेती के तरीकों के साथ-साथ अब नई तकनीक से कृषि करना भी सीख लिया है। यही कारण है कि अब शेखावटी के धोरों में काले गेंहू की खेती भी होने लगी है। कुछ साल पहले प्रयोग के रुप में शुरू हुई काले गेहूं की फसल अब खेतों में लहलहाने लगी है। झुंझुनूं सूरजगढ़ के घरडू गांव के किसानों ने रेगिस्तान के धोरों में काले गेहंू की फसल उगाने का नया तरह का प्रयोग किया है, जो आस-पास के गांवों व अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है।
दस बीघा खेत में की शुरुआत

सूरजगढ़ के घरडू गांव के किसान धर्मवीर व लीलाधर भडिय़ा ने बताया कि शुरुआत में दस बीघा खेत में फसल बोई है। राजस्थान के चितौडग़ढ़ में इस तरह की फसल उगाई जा चुकी है। मोहाली इंस्टीट्यूट से इस खेती की तकनीक को सीखा है। नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट मोहाली से खुद बीज लेकर आए और अपने खेत में श्री विधि से काले गेहूं को बोया है।
यह होती है श्री विधि

श्री विधि पद्धति गेहूं की खेती करने का नया तरीका है, जिसमें श्री विधि सिद्धांतों का पालन करके प्रति इकाई क्षेत्र में अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है। इस पद्धति में बीज शोधन, बीज उपचार व बुआई के तरीके में परिवर्तन होता है। इस पद्धति से बुआई के समय खेत में अंकुरण के लिए पर्याप्त नमी होनी चाहिए, क्योंकि पर्याप्त नमी नहीं होगी तो अंकुर सूख जाएंगे। बीजों को हाथ से बोया जाता है, पौधे से पौधे और कतार से कतार की दूरी 20 सेमी होनी चाहिए। इसके लिए पतले कुदाल से 2.5 से 3 सेमी गहरी नालियां बनाते हैं और उसमें बीज डालते हैं। इसके बाद मिट्टी से ढंक देते हैं। पौधे से पौधे में दूरी होने के कारण इनकी जड़ें अच्छे से फैलती है, इसमें बालियों की संख्या अधिक निकलती है। इसके साथ ही नुकसान की संभावना भी कम हो जाती है।
किसानों का आर्थिक फायदा भी अधिक
किसान लीलाधर ने बताया कि काले गेहंू की ऑर्गनिक फसल स्वास्थ्य के लिए भी काफी गुणकारी होती है। लीलाधर ने बताया की ऑर्गेनिक खेती में किसान की लागत काफी कम होती है, जिससे उन्हें फसल की पैदावार में मुनाफा भी अधिक होता है। साधारण गेहंू बाजारों में 18 से 25 रुपए प्रतिकिलो के भावों में बिकता है। वही काले गेहंू में औषधीय तत्व होने से यह बाजारों में 150 से 200 रुपए प्रतिकिलो तक में बिक जाता है। काले गेहंू दिखने में थोड़े काले व बैंगनी होते हैं। इनका स्वाद साधारण गेहंू से काफी अलग व गुणकारी है। साधारण गेंहू में 5 से 15 प्रतिशत पीपीएम होता है, जबकि काले गेहंू में इसकी मात्रा 40 से 140 प्रतिशत तक होती है। एंथोसाएनिन के अलावा काले गेहूं में जिंक और आयरन की मात्रा में भी अंतर होता है। काले गेहूं में आम गेहूं की तुलना में 60 फीसदी आयरन ज्यादा होता है। हालांकि, प्रोटीन, स्टार्च और दूसरे पोषक तत्व समान मात्रा में होते हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो