scriptकिसान सीखेंगे प्राकृतिक कृषि के गुर | Farmers will learn the tricks of natural agriculture | Patrika News

किसान सीखेंगे प्राकृतिक कृषि के गुर

locationजयपुरPublished: Sep 24, 2019 11:43:53 pm

Submitted by:

Suresh Yadav

नौ राज्यों के छह हजार किसान छह दिनों तक प्राकृतिक कृषि विधियों का सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण लेंगे

किसान सीखेंगे प्राकृतिक कृषि के गुर

किसान सीखेंगे प्राकृतिक कृषि के गुर

जयपुर।

खेती (farming) में रासायनिक खादों एवं कीटनाशक दवाइयों के निरन्तर प्रयोग से कृषि लागत तो बढ़ ही रही है, साथ ही कृषि उत्पाद (agro products) इतने जहरीले हो जाते हैं कि वे मानव स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। इसके साथ ही रासायनिक खादों के निरन्तर प्रयोग की वजह से जमीन की उर्वरकता निरन्तर घटती जा रही है और पानी की अवशोषण क्षमता बहुत कम हो गई है जिसका एकमात्र उपाय प्राकृतिक कृषि (natural farming ) विधि ही है।
इसी को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और किसानों की आय को दोगुना करने के उद्देश्य से लुपिन फाउंडेशन की ओर से मंगलवार को प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ किया गया। इस प्रशिक्षण शिविर में नौ राज्यों के करीब छह हजार किसान प्राकृतिक कृषि की बारीकियां सीख रहे हैं। यही नहीं इन किसानों को प्रशिक्षण में सहायता के लिए कृषि विभाग के अधिकारी, विद्यार्थी और स्वयंसेवी संगठनों के पदाधिकारियों मौजूद रहेंगे। यह प्रशिक्षण शिविर भरतपुर जिले के सेवर स्थित बीएस पब्लिक स्कूल में लगाया गया है। शिविर में पद्मश्री अवार्ड प्राप्त कृषि विशेषज्ञ डॉ. सुभाष पालेकर लगातार छह दिनों तक प्राकृतिक कृषि विधियों का सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण देंगे।
लुपिन के अधिशाषी निदेशक सीताराम गुप्ता ने बताया कि किसानों की आय को दोगुना करने के लिए चलाई जा रही योजनाओं के तहत प्राकृतिक कृषि विधियां अधिक कारगर सिद्ध हुई हैं। इसको ध्यान में रखते हुए नीति आयोग के निर्देश पर भरतपुर में राज्य के सबसे बड़े प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है।
गुप्ता ने बताया कि इस प्रशिक्षण शिविर में राजस्थान के लगभग सभी जिलों के अलावा महाराष्ट,, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, उत्तराखण्ड, बिहार, हिमाचल आदि राज्यों के किसान शामिल हो रहे हैं। डॉ. सुभाष पालेकर की ओर से जिन राज्यों के किसानों को प्राकृतिक कृषि विधियों का प्रशिक्षण दिया जा चुका है वहां के किसान उनकी विधियों को अपनाकर खेती कर रहे हैं। इससे उनकी कृषि कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाली बन गई है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो