दो मददगार आए आगे
एसएमएस अस्पताल के सामने मोदी धर्मशाला के कमरा नंबर 322 में ठहरे विजय ने बताया, मेरे 2 बेटे हैं। बड़ा बेटा नवल 3 साल पहले मजदूरी के लिए डीडवाना गया तब से लौटा ही नहीं। छोटा बेटा श्याम ग्यारहवीं की पढ़ाई छोडकऱ मेरे इलाज के लिए दौड़-धूप कर रहा है। इधर, धर्मशाला का खर्च मददगार गोविंद सिंह चांदारूण और श्याम प्रताप सिंह चांदारूण उठा रहे हैं। दोनों पीडि़त पिता-पुत्र के लिए खाने की व्यवस्था भी कर रहे हैं।
एसएमएस अस्पताल के सामने मोदी धर्मशाला के कमरा नंबर 322 में ठहरे विजय ने बताया, मेरे 2 बेटे हैं। बड़ा बेटा नवल 3 साल पहले मजदूरी के लिए डीडवाना गया तब से लौटा ही नहीं। छोटा बेटा श्याम ग्यारहवीं की पढ़ाई छोडकऱ मेरे इलाज के लिए दौड़-धूप कर रहा है। इधर, धर्मशाला का खर्च मददगार गोविंद सिंह चांदारूण और श्याम प्रताप सिंह चांदारूण उठा रहे हैं। दोनों पीडि़त पिता-पुत्र के लिए खाने की व्यवस्था भी कर रहे हैं।