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इस परिवार में पिता-पुत्र और बहू हैं अर्जुन पुरस्कार विजेता

locationजयपुरPublished: Feb 24, 2018 06:34:15 pm

Submitted by:

Aryan Sharma

बहू साक्षी मलिक ने ओलंपिक कुश्ती में रचा था इतिहास

Patrika
मृदुला शर्मा / जयपुर . हरियाणा के रोहतक जिले के निवासी सत्यवान कादयान के खून में ही पहलवानी का जुनून दौड़ता है। 1988 ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके सत्यवान के परिवार में उनकी पत्नी को छोड़ शेष सभी सदस्य कुश्ती से जुड़े हुए हैंं। पांच सदस्यों के इस परिवार में से तीन तो अर्जुन अवार्डी हैं। सत्यवान के बड़े बेटे सत्यव्रत और बहू साक्षी मलिक किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं, जबकि उनके छोटे बेटे सोमवीर फिलहाल राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में जुटे हुए हैं।
छोटे बेटे सोमवीर के साथ यहां राष्ट्रीय जूनियर कुश्ती प्रतियोगिता में शिरकत करने आए सत्यवान ने कहा, मेरे पिता जमींदार थे, लेकिन उनको कुश्ती का बहुत शौक था और उन्होंने खुद का अखाड़ा बना रखा था जहां वे नियमित अभ्यास करते थे। पिता तो अपने शौक को ज्यादा आगे तक नहीं ले जा सके, लेकिन उन्होंने मुझे ओलंपिक तक पहुंचाने के लिए पूरा जोर लगा दिया। पिता के बाद मैंने भी इसी परम्परा को आगे बढ़ाया है। मेरे बाद दोनों बेटे कुश्ती करते हैं और सौभाग्य से बहू भी पहलवान मिली है।
खिलाड़ी चलाएं फेडरेशन
कुश्ती में आए दिन होने वाले विवादों पर सत्यवान ने कहा कि अगर फेडरेशन को राजनीतिज्ञों के बजाय खेल से जुडे़ लोग चलाएंगे तो कोई विवाद नहीं होगा। सत्यवान ने बताया कि सत्यव्रत भी ओलंपिक के लिए योग्य थे, लेकिन वह भी राजनीति का शिकार हो गए।
मैट पर हों दंगल
अपने समय को याद करते हुए सत्यवान ने बताया कि हम मिट्टी में कुश्ती लड़ा करते थे, लेकिन आजकल मैट पर मुकाबले होने लगे हैं। मिट्टी में गति धीमी रहती है और पकड़ भी उतनी मजबूत नहीं बन पाती है, लेकिन मैट के आने से गति में काफी सुधार हुआ है और पहलवानों को भी अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उतनी दिक्कत नहीं होती है। अगर सभी तरह के दंगल मैट पर होने लगें तो ज्यादा से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान निकल सकते हैं।
साक्षी के आने से बढ़ी परिवार की शोहरत
अर्जुन अवार्डी सत्यवान ने बताया कि बहू साक्षी के आने से परिवार का नाम और बढ़ा है। बेटा सत्यव्रत 2010 यूथ ओलंपिक व 2013 विश्व यूथ चैम्पियनशिप में कांस्य पदक और 2014 ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में देश के लिए रजत पदक जीत चुका है। वहीं बहू साक्षी ने 2016 रियो ओलंपिक में भारत को महिला कुश्ती में पहला पदक दिलाया है। सत्यवान ने कहा, इससे बड़ी खुशी की बात क्या हो सकती है कि कुश्ती में इतिहास रचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान हमारे परिवार की अहम सदस्य है। उन्होंने कहा, हालांकि कैम्प के चलते बच्चे ज्यादातर समय बाहर रहते हैं, लेकिन जब भी घर पर होते हैं मेरे ही पास अखाड़े में अभ्यास करते हैं।
सत्यवान के अखाड़े में करीब 70 पुरुष व महिला पहलवान कुश्ती सीखते हैं। वह भी अब छोटे बेटे सोमवीर पर ध्यान केन्द्रित किए हुए हैं। सोमवीर 92 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में सीनियर नेशनल में तीसरा स्थान प्राप्त कर चुके हैं और जूनियर नेशनल में पदक के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।
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