यह है मामला – दरअसल राजस्थान विश्वविद्यालय ने दौसा और जयपुर के एेसे बीएड एमएड कॉलेज जो आरयू के अंडर में आते है उनके पाठयक्रम के निरीक्षण के लिए निरीक्षक नियुक्त किए गए है। इन निरीक्षकों से कॉलेज के पाठयक्रम का निरीक्षण करवाकर कॉलेज के संचालकों को विश्वविद्यालय को निरीक्षण रिपोर्ट पेश करनी थी। लेकिन मई में ही निरीक्षकों की नियुक्ति होने के पांच माह बाद भी कार्यवाही रिपोर्ट जमा ही नहीं करवाई गई। वह भी एेसे में जब 30 अक्टूबर रिपोर्ट पेश करने की अंतिम तिथि थी। लेकिन विश्वविद्यालय ने निश्चित समय निकल जाने के बाद भी निरीक्षकों और कॉलेज संचालकों पर कोई कार्रवाई नहीं की। बल्कि इनको मोहलत देते हुए 15 दिसम्बर तक निरीक्षण रिपोर्ट पेश करने का समय दे दिया। इसके साथ ही फरमान जारी कर दिया है कि कोई भी कॉलेज संचालक अगर निर्धारित तिथि तक निरीक्षकों से रिपोर्ट बनवाकर पेश नहीं करेंगे तो इन महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को परीक्षा में सम्मिलित करना संभव नहीं होगा। एेसे में अब सवाल उठने लगे है कि निरीक्षक और कॉलेज संचालकों की लापरवाही की सजा विद्यार्थियों को क्यों दी जाएगी।