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खतरे की आशंका मात्र ही धारा 144 लगाने का आधार नहीं

locationजयपुरPublished: Dec 22, 2019 12:36:35 am

Submitted by:

Vijayendra

उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में इस धारा के इस्तेमाल पर उठने लगे सवाल
 

खतरे की आशंका मात्र ही धारा 144 लगाने का आधार नहीं

खतरे की आशंका मात्र ही धारा 144 लगाने का आधार नहीं

नई दिल्ली
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। इन पर लगाम लगाने के लिए पुलिस ने देशभर में ‘धारा १४४ सीआरपीसीÓ का इस्तेमाल किया है। यूपी की आबादी करीब २० करोड़ है और पुलिस ने बीते दिनों यहां पूरे सूबे में धारा १४४ लगा दी थी। यूपी के डीजीपी ने ट्विटर पर यह जानकारी दी थी। यूपी में कई ऐसे जिलों में भी धारा १४४ लगा दी गई, जहां विरोध-प्रदर्शन हुए ही नहीं थे। बेंगलूरु के पुलिस उपायुक्त ने धारा 144 लगाने को सही ठहराते हुए कहा कि जब दूसरों को ‘असुविधाÓ हो तो मौलिक अधिकारों पर अंकुश लगाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मात्र खतरे की आशंका के आधार पर धारा 144 लागू करके नागरिकों के अधिकारों पर रोक नहीं लगाई जा सकती। इसके लिए ‘संभावनाÓ या ‘प्रवृत्तिÓ नहीं ‘आसन्नÓ खतरे की स्पष्ट आशंका होनी चाहिए।

क्या है यह धारा
डीएम/कलक्टर, एसडीएम या किसी अन्य कार्यकारी मजिस्ट्रेट को राज्य सरकार की ओर से किसी विशेष स्थान या क्षेत्र में एक व्यक्ति या आम जनता को विशेष गतिविधि से दूर रहने का आदेश जारी करने का अधिकार होता है। इसके तहत चार या ज्यादा लोगों को एक स्थान पर एकत्र होने की इजाजत नहीं होती। वे क्षेत्र विशेष में प्रदर्शन नहीं कर सकते। निम्न परिस्थितियों में यह आदेश दिया जा सकता है-
1-किसी भी व्यक्ति को कानूनी रूप से नियोजित करने में बाधा हो, परेशानी हो या चोट पहुंचने की आशंका हो।
2-मानव जीवन, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर संकट हो।
3- अशांति, दंगा या उत्पीडऩ की प्रबल आशंका हो।
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…लेकिन यह ध्यान रखना है जरूरी
धारा 144 के तहत दिए गए आदेश संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ए), (बी) और (सी) के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों मसलन अभिव्यक्ति, स्वतंत्रता, एक जगह जुटने और प्रदर्शन के अधिकार का हनन करते हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट २०१६ में मॉडर्न डेंटल कॉलेज केस में कहा था-यह धारा उचित तभी मानी जाएगी जब यह एक उचित उद्देश्य पाने के लिए हो। इस तरह के उपाय अत्यंत जरूरी हों। एक अन्य मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि ऐसे उपाय का लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं होना चाहिए।
इस धारा के तहत नहीं कर सकते ‘नेटबंदीÓ
कुछ जगह धारा 144 के तहत ही फोन नेटवर्क, केबल सर्विस और इंटरनेट भी बंद करा दिए जाते हैं। कथित तौर पर यूपी और प. बंगाल में हाल ही में ऐसा हुआ है। हालांकि इसके लिए अलग कानून है। कुछ कानून विशेषज्ञों का मानना है कि विरोध प्रदर्शनों को विफल करने के लिए इस कानून का दुरुपयोग होता रहा है।
सरकारों ने बनाया हथियार
कुछ संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि धारा-144 के साथ बड़ी समस्या यह है कि इसका प्रयोग मुख्य रूप से आपात स्थिति के दौरान होना था। लेकिन स्थिति यह हो गई है कि इस निषेधाज्ञा को अत्यधिक व्यापक और भेदभावपूर्ण तरीके से लागू किया जा रहा है। पिछली सरकारों ने भी विरोध प्रदर्शनों को विफल करने के लिए इस कानून का जमकर इस्तेमाल किया है।
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