क्या है यह धारा
डीएम/कलक्टर, एसडीएम या किसी अन्य कार्यकारी मजिस्ट्रेट को राज्य सरकार की ओर से किसी विशेष स्थान या क्षेत्र में एक व्यक्ति या आम जनता को विशेष गतिविधि से दूर रहने का आदेश जारी करने का अधिकार होता है। इसके तहत चार या ज्यादा लोगों को एक स्थान पर एकत्र होने की इजाजत नहीं होती। वे क्षेत्र विशेष में प्रदर्शन नहीं कर सकते। निम्न परिस्थितियों में यह आदेश दिया जा सकता है-
1-किसी भी व्यक्ति को कानूनी रूप से नियोजित करने में बाधा हो, परेशानी हो या चोट पहुंचने की आशंका हो।
2-मानव जीवन, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर संकट हो।
3- अशांति, दंगा या उत्पीडऩ की प्रबल आशंका हो।
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…लेकिन यह ध्यान रखना है जरूरी
धारा 144 के तहत दिए गए आदेश संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ए), (बी) और (सी) के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों मसलन अभिव्यक्ति, स्वतंत्रता, एक जगह जुटने और प्रदर्शन के अधिकार का हनन करते हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट २०१६ में मॉडर्न डेंटल कॉलेज केस में कहा था-यह धारा उचित तभी मानी जाएगी जब यह एक उचित उद्देश्य पाने के लिए हो। इस तरह के उपाय अत्यंत जरूरी हों। एक अन्य मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि ऐसे उपाय का लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं होना चाहिए।
…लेकिन यह ध्यान रखना है जरूरी
धारा 144 के तहत दिए गए आदेश संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ए), (बी) और (सी) के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों मसलन अभिव्यक्ति, स्वतंत्रता, एक जगह जुटने और प्रदर्शन के अधिकार का हनन करते हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट २०१६ में मॉडर्न डेंटल कॉलेज केस में कहा था-यह धारा उचित तभी मानी जाएगी जब यह एक उचित उद्देश्य पाने के लिए हो। इस तरह के उपाय अत्यंत जरूरी हों। एक अन्य मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि ऐसे उपाय का लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं होना चाहिए।
इस धारा के तहत नहीं कर सकते ‘नेटबंदीÓ
कुछ जगह धारा 144 के तहत ही फोन नेटवर्क, केबल सर्विस और इंटरनेट भी बंद करा दिए जाते हैं। कथित तौर पर यूपी और प. बंगाल में हाल ही में ऐसा हुआ है। हालांकि इसके लिए अलग कानून है। कुछ कानून विशेषज्ञों का मानना है कि विरोध प्रदर्शनों को विफल करने के लिए इस कानून का दुरुपयोग होता रहा है।
कुछ जगह धारा 144 के तहत ही फोन नेटवर्क, केबल सर्विस और इंटरनेट भी बंद करा दिए जाते हैं। कथित तौर पर यूपी और प. बंगाल में हाल ही में ऐसा हुआ है। हालांकि इसके लिए अलग कानून है। कुछ कानून विशेषज्ञों का मानना है कि विरोध प्रदर्शनों को विफल करने के लिए इस कानून का दुरुपयोग होता रहा है।
सरकारों ने बनाया हथियार
कुछ संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि धारा-144 के साथ बड़ी समस्या यह है कि इसका प्रयोग मुख्य रूप से आपात स्थिति के दौरान होना था। लेकिन स्थिति यह हो गई है कि इस निषेधाज्ञा को अत्यधिक व्यापक और भेदभावपूर्ण तरीके से लागू किया जा रहा है। पिछली सरकारों ने भी विरोध प्रदर्शनों को विफल करने के लिए इस कानून का जमकर इस्तेमाल किया है।
कुछ संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि धारा-144 के साथ बड़ी समस्या यह है कि इसका प्रयोग मुख्य रूप से आपात स्थिति के दौरान होना था। लेकिन स्थिति यह हो गई है कि इस निषेधाज्ञा को अत्यधिक व्यापक और भेदभावपूर्ण तरीके से लागू किया जा रहा है। पिछली सरकारों ने भी विरोध प्रदर्शनों को विफल करने के लिए इस कानून का जमकर इस्तेमाल किया है।