सराफ ने कहा कि शुरुआत से ही कोरोना की रोकथाम व जांच में लगे चिकित्साकर्मियों को प्रशासन ने कटी फटी पीपीई किट व आधी—अधूरी व्यवस्थाओं के साथ काम में लगा दिया था, जिसका परिणाम यह है कि वारियर्स के संक्रमित होने की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। उस पर कॉलेज प्रशासन का यह आदेश कि पॉजिटिव पाए जाने वाला ही क्वारेंटाइन होगा, शेष स्टाफ वैसे ही कार्य करता रहेगा के कारण जांच में लगे कर्मचारियों में और ज्यादा डर पैदा हो गया है, जिससे कॉलेज की लैब में स्टाफ ने काम करना बंद कर दिया है।
सराफ ने कहा कि कोरोना वारियर्स में संक्रमण फैलने के डर से एसएमएस मेडिकल कॉलेज में सैम्पल जांच का काम पूरी तरह से ठप पड़ा है जो कि चिंता का विषय है। पहले जहां 2 हजार कोरोना जांच प्रतिदिन होती थी,पिछले दो दिनों में मात्र पांच सौ जांच हुई हैं वो भी ज्यादातर स्टाफ की है। काम बंद होने से लगभग साढ़े पांच हजार जांच रिपोर्ट्स पेंडिंग हैं, जिसके कारण पोसिटिव केसों में कमी दिखी है, जैसे ही जांच रिपोर्ट आएंगी आंकड़ों में विस्फोट हो सकता है।
सराफ ने कहा कि चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के उन दावों की पोल खुल गई है जिसमें उन्होंने यह कहते हुए अपनी व सरकार की पीठ थपथपाई थी कि प्रदेश में कोरोना जांच का दायरा बढ़ाकर 25 हजार प्रतिदिन तक हो गया है, जबकि राजधानी जयपुर के मेडिकल कॉलेज में ही जांच कार्य ठप पड़ा है और पिछले दो दिनों की पेंडेंसी लगभग साढ़े पांच हजार है।