महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष आयुदानसिंह कविया और प्रदेश महामंत्री तेजसिंह राठौड़ ने बताया कि सरकार राज्य कर्मचारियों पर एक के बाद एक आर्थिक हमले कर रही है। इससे कर्मचारियों में नाराजगी बनी हुई है। कर्मचारियों के वेतन से जबरन वसूली की जा रही है, महासंघ इसका पुरजोर विरोध करता है। महासंघ का कहना है कि बगैर अनुमति के किसी भी कर्मचारी का वेतन काटा जाना अनुचित और असंवैधानिक है। इसके उपरान्त भी राज्य सरकार ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए केबिनेट बैठक में जबरन वसूली का निर्णय लेकर यह साबित कर दिया कि राज्य सरकार कर्मचारी विरोधी है। महासंघ ने सरकार को कर्मचारियों की अन्य कई मांगों को लेकर भी ज्ञापन दिया है।
वहीं, प्रांतीय नल मजदूर कर्मचारी यूनियन इंटक के प्रदेशाध्यक्ष संजय सिंह शेखावत के नेतृत्व में पदाधिकारियों, कर्मचारियों की आमसभा हुई। इस दौरान मुख्यमंत्री से अपील की गई कि वेतन कटौती का आदेश वापस लिया जाए। जलदायकर्मियों का कार्य अति आवश्यक सेवा से जुड़ा हुआ है। ऐसे में वेतन कटौती नहीं की जाए। साथ ही मार्च में कर्मचारियों की स्थगित की गई सैलेरी को जारी किया जाए। सभा में जिला अध्यक्ष ओमप्रकाश वर्मा, महामंत्री भोपाल सैनी, उपाध्यक्ष हनुमान सैनी समेत अन्य शामिल हुए।