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भ्रूण इंसान है तो उसे अधिकार और नागरिकता क्यों न मिले?

locationजयपुरPublished: Jun 02, 2019 03:12:58 pm

Submitted by:

pushpesh

-अलबामा में नया कानून : आमतौर पर व्यक्ति का वजूद या उसकी जैविक उत्पत्ति जन्म के बाद ही मानी जाती है। लेकिन भ्रूण को इंसान का दर्जा देने से कई पेचीदगियां जन्म लेंगी

अलबामा में नया कानून

भ्रूण इंसान है तो उसे अधिकार और नागरिकता क्यों न मिले?

जयपुर.

अमरीका के अन्य राज्यों के साथ अलबामा भी गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने वाला राज्य बन गया है। नए कानून के बाद गर्भपात करवाने वाले डॉक्टर को 99 वर्ष की सजा हो सकती है। बलात्कार अथवा अनाचार के मामले अपवाद होंगे। ये कानून एक अजन्मे बच्चे को एक इंसान के रूप में मान्यता देता है। अलबामा में गर्भधारण के छह सप्ताह बाद जैसे ही भ्रूण में धडक़न पैदा होती है, उसे व्यक्ति घोषित किया जाएगा। मिसौरी में आठ सप्ताह पर व्यक्ति मानने का सुझाव था, लेकिन यहां गर्भपात पर फिलहाल रोक नहीं है। अब बात निर्वासन की? जिस प्रवासी महिला ने अमरीका में गर्भधारण किया है, तो उसे निर्वासित किया जाएगा? क्योंकि यदि एक भ्रूण को व्यक्ति माना जाता है तो वह एक नागरिक हुआ। ऐसे में भ्रूण की नागरिकता निर्धारित करने वाले १४वें संशोधन के सेक्शन एक में परिवर्तन करना पड़ेगा। इसके मुताबिक अमरीका में पैदा हुआ व्यक्ति अमरीका के अधिकार क्षेत्र में है और वह उसका नागरिक रहेगा। कानून निर्माताओं ने इसे जन्म के बाद से परिभाषित किया है। आमतौर पर व्यक्ति का वजूद या उसकी जैविक उत्पत्ति जन्म के बाद ही मानी जाती है। लेकिन जैसा कि भ्रूण को नागरिक माने जाने के कारण इस नियम में दुविधा पैदा हो सकती है। लेकिन अब जिन राज्यों ने गर्भपात पर प्रतिबंध लगाया है, वहां जन्म की नई परिभाषा बन गई है। भ्रूण की नागरिकता संबंधी बिल लाए जाने के बाद कानून के 14वें संशोधन पर सवाल खड़े होते हैं। और एक भ्रूण नागरिक होने का अधिकार रखता है। अभी तक इन राज्यों में ऐसा कोई कानून नहीं है कि अमरीका में जन्मे किसी बच्चे को नागरिकता से इसलिए वंचित किया जा सकता कि वह किसी गैर नागरिक के साथ रह रहा है।
जनगणना में कैसे शामिल करेंगे भ्रूण
यदि भ्रूण को व्यक्ति माना जाता है तो उन्हें भी गिनती में शामिल किया जाएगा? यदि हां तो कैसे उनकी गणना की जाएगी? ये भी बड़ी चुनौती है, यदि छह माह के भ्रूण को व्यक्ति का दर्जा दिया जाएगा तो घर-घर जाकर पूछना होगा कि उनके गर्भ में कितने दिन का बच्चा है। कई जगह संसाधन भी पूरे नहीं। देश और राज्यों में स्थानीय निकायों में अब तक व्यक्ति मानकर ही कानून बनाए गए हैं। वह भले ही संपत्ति, सुरक्षा अथवा स्वतंत्रता का कानून हो। अब तक व्यक्ति के जन्म अथवा उसके आव्रजन को लेकर ही नियम बने हैं, लेकिन राज्यों के लिए भ्रूण के लिए इन नियमों में संशोधन करना भी चुनौतीपूर्ण होगा।
भारत में उठ चुकी भ्रूण के अधिकारों की मांग
मुंबई हाईकोर्ट ने पिछले वर्ष सितंबर में 18 वर्षीय एक बलात्कार पीडि़ता की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने 27 हफ्ते के भ्रूण को गिराने की अनुमति मांगी थी। तब अदालत ने भ्रूण के अधिकारों की समीक्षा की बात कही। देश में पहली बार ये सवाल भी उठा कि क्या भ्रूण को व्यक्ति का दर्जा दिया जा सकता है? गर्भ में पल रहे एम्ब्रियो को आठ हफ्ते बाद से पैदा होने तक कानून की नजर में वह ‘फीटस’ यानी ‘भ्रूण’ माना गया।

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