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जयपुर

रोमांच के गलियारों से गुजरती मर्डर मिस्ट्री

अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नू ‘बदला’ में एक बार फिर एडवोकेट-क्लाइंट की भूमिका में हैं। थ्रिलर बनाने में माहिर सुजॉय घोष ने बेहद दिलचस्प तरीके से बदले की इस कहानी को पर्दे पर प्रस्तुत किया है।

जयपुरMar 08, 2019 / 02:14 pm

Aryan Sharma

Jaipur

रोमांच के गलियारों से गुजरती मर्डर मिस्ट्री


अडेप्टेड स्क्रीनप्ले-डायरेक्शन : सुजॉय घोष
ओरिजिनल स्टोरी एंड स्क्रीनप्ले : ओरिओल पाउलो
डायलॉग्स : सुजॉय, राज वसंत
म्यूजिक : क्लिंटन सीरेजो, अनुपम रॉय, अमाल मलिक
सिनेमैटोग्राफी : अविक मुखोपाध्याय
एडिटिंग : मोनिशा आर. बल्दवा
रनिंग टाइम : 120.22 मिनट
स्टार कास्ट : अमिताभ बच्चन, तापसी पन्नू, अमृता सिंह, टोनी ल्यूक, मानव कौल, डेंजिल स्मिथ, तनवीर घनी, एंटोनियो अकील
आर्यन शर्मा/जयपुर. अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नू ने करीब ढाई साल पहले आई मूवी ‘पिंक’ में पहली बार साथ में काम किया था। इसमें अमिताभ ने तापसी के वकील के रूप में पैरवी करते हुए समाज को मैसेज दिया था कि किसी भी महिला या लड़की की ‘ना’ का मतलब ना ही होता है और यह ‘ना’ केवल एक शब्द नहीं, बल्कि अपने आपमें पूरा वाक्य है। अब महिला दिवस पर आई सुजॉय घोष निर्देशित क्राइम थ्रिलर फिल्म ‘बदला’ में अमिताभ एक बार फिर तापसी के वकील बने हैं और एक हत्या की गुत्थी सुलझाते दिखे हैं। इसका सस्पेंस व थ्रिल अंत तक बांधे रखता है। फिल्म की पंचलाइन ‘बदला लेना हर बार सही नहीं होता, लेकिन माफ कर देना भी हर बार सही नहीं होता’ अपने आपमें इंटरेस्टिंग स्टोरीलाइन होने का संकेत दे देती है। कहानी में नैना सेठी (तापसी) सक्सेस बिजनेस वुमन है। उस पर एक मर्डर का चार्ज है। ऐसे में नैना इस केस से बरी होने के लिए नामी एडवोकेट बादल गुप्ता (अमिताभ) को हायर करती है, जो अपने 40 साल के कॅरियर में कोई केस नहीं हारा है। बादल नैना के घर आता है और केस को सॉल्व करने के लिए उसकी गहराई में जाने की कोशिश करता है। इसके लिए वह नैना से सवाल-जवाब का दौर शुरू करता है। केस के पन्ने पलटने से इससे जुड़ी कई कहानियां सामने आती हैं। फिर धीरे-धीरे इस मर्डर मिस्ट्री से लेयर्स हटने लगती है।
मजेदार स्क्रीनप्ले और असरदार डायलॉग्स
‘बदला’ राइटर-डायरेक्टर ओरिओल पाउलो की स्पैनिश मूवी ‘द इनविजिबल गेस्ट’ का ऑफिशियल हिन्दी रीमेक है। ‘कहानी’ जैसी लाजवाब सस्पेंस थ्रिलर बना चुके सुजॉय घोष ने निर्देशन की कमान बखूबी संभाली है। यही नहीं, सुजॉय ने दिलचस्प और कसा हुआ स्क्रीनप्ले लिखा है, जो शुरू से अंत तक उत्सुकता बनाए रखता है। संवाद असरदार हैं। मिलेनियम सुपरस्टार अमिताभ ने एक बार फिर आला दर्जे का अभिनय किया है। वे बतौर वकील जिस तरह से अपने क्लाइंट को कुरेदते हैं और घटनाक्रम पर अपना नजरिया स्पष्ट करते हैं, वो काबिल-ए-तारीफ है। ‘पिंक’, ‘नाम शबाना’, ‘मुल्क’ सरीखी फिल्मों से तापसी साबित कर चुकी हैं कि वह एक्टिंग में लंबी पारी खेलने के इरादे से आई हैं। ‘बदला’ में भी उन्होंने सधी हुई व नैचुरल परफॉर्मेंस दी है। अमृता सिंह ने बदला लेने के लिए पुरजोर कोशिश करती एक मदर की भूमिका अच्छे से निभाई है। मलयालम फिल्मों के अभिनेता टोनी ल्यूक की यह हिन्दी में डेब्यू मूवी है और उन्होंने अपनी अदाकारी से प्रभावित किया है। स्पेशल अपीयरेंस में मानव कौल ठीक हैं। बैकग्राउंड स्कोर रोमांच का सिलसिला बनाए रखता है। लोकेशंस नयनाभिराम हैं। सिनेमैटोग्राफी आकर्षक है, वहीं एडिंटिंग टाइट है।

क्यों देखें : यह वेल क्राफ्टेड स्मार्ट क्रैक्लिंग मिस्ट्री है, जिसमें कई ट्विस्ट आते रहते हैं, खासकर दूसरे हाफ में रोमांच जबरदस्त है। क्लाइमैक्स शानदार है। ऐसे में क्राइम थ्रिलर फिल्मों के शौकीनों के लिए ‘बदला’ देखना एक मजेदार अनुभव रहेगा।
रेटिंग : 3 स्टार

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