आर्यन शर्मा/जयपुर. सनी देओल की बैक टू बैक दो फिल्में रिलीज हुई हैं। पिछले हफ्ते ‘मोहल्ला अस्सी’, जबकि इस बार ‘भैयाजी सुपरहिट’ ने सिनेमाघरों में दस्तक दी है। दोनों फिल्मों में कॉमन यह है कि किन्हीं कारणवश इनको रिलीज होने में बरसों लग गए, जिसकी वजह से इन्हें लेकर दर्शकों की उत्सुकता खत्म हो गई। फिल्म की अनाउंसमेंट से लेकर रिलीज होने तक इन्हें काफी उतार चढ़ाव से गुजरना पड़ा है। नीरज पाठक निर्देशित ‘भैयाजी सुपरहिट’ एक्शन कॉमेडी जोनर की फिल्म है लेकिन फिल्म में जिस तरह से इस जोनर के साथ खिलवाड़ किया है, उस देखकर तरस आता है। मेकर्स ने फिल्म के टाइटल में सुपरहिट तो जोड़ा है, लेकिन वे यह भूल गए कि फिल्म को सुपरहिट बनाने के लिए अच्छा कंटेंट भी होना चाहिए। यह वाराणसी के पास स्थित मिर्जापुर के रहने वाले गैंगस्टर देवी दयाल दुबे उर्फ 3डी भैयाजी (सनी देओल) की कहानी है। वह पत्नी सपना दुबे (प्रीति जिंटा) से बहुत प्यार करता है लेकिन कुछ गलतफहमी की वजह से सपना घर छोड़कर चली जाती है। इससे भैयाजी परेशान है। दूसरी ओर भैयाजी का दुश्मन गैंगस्टर हेलिकॉप्टर मिश्रा (जयदीप अहलावत) है। उसे भैयाजी फूटी आंख नहीं सुहाते। कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब कॉन फिल्म डायरेक्टर गोल्डी कपूर (अरशद वारसी) की एंट्री होती है। वह भैयाजी को उनकी पत्नी से मिलाने के लिए एक फिल्म बनाने की कहता है। इस बहाने वह भैयाजी से करोड़ों रुपए ऐंठता रहता है। अपने काम को आसान बनाने के लिए वह स्ट्रगल राइटर तरुण पोर्नो घोष (श्रेयस तलपडे) और अभिनेत्री मल्लिका (अमीषा पटेल) को भी फिल्म से जोड़ लेता है। इसके बाद कहानी में हल्के-फुल्के ट्विस्ट्स आते हैं।
कलाकारों की फौज, लेकिन कमांडर कमजोर
फिल्म का बेसिक प्लॉट अच्छा है लेकिन कहानी बहुत ही खराब है। स्क्रीनप्ले में काफी लूप होल्स हैं। दृश्यों में तारतम्यता की कमी के चलते फ्लो ही नहीं बनता। निर्देशन दिशाहीन और लचर है। फिल्म में एक्टर्स की तो फौज जमा कर ली, पर उन्हें सही कमांड देने में निर्देशक नीरज पाठक पूरी तरह फेल साबित हुए हैं। क्लाइमैक्स भी असरदार नहीं है। ऐसे में फिल्म बोर करती है। एक्टिंग की बात करें तो सनी देओल एक्शन अवतार में हैं, लेकिन वह फुल फॉर्म में नहीं हैं। लंबे गैप के बाद लीड रोल में नजर आईं प्रीति जिंटा ने ठीक-ठाक अभिनय किया है। अमीषा पटेल सिर्फ स्किन शो करती दिखी हैं। अरशद वारसी, श्रेयस तलपडे और संजय मिश्रा अपने कॉमिक अंदाज से थोड़ा-बहुत गुदगुदाते हैं। विलेन के रोल में जयदीप अहलावत पावरफुल नहीं लगे। बृजेन्द्र काला, पंकज त्रिपाठी, हेमंत पांडेय जैसे कलाकारों की प्रतिभा का सही से इस्तेमाल नहीं किया। गीत-संगीत कमजोर है। गानों का पिक्चराइजेशन भी अटपटा है। संपादन सुस्त है, वहीं सिनेमैटोग्राफी साधारण है।
क्यों देखें : इस साल आई सनी की फिल्म ‘यमला पगला दीवाना फिर से’ और ‘मोहल्ला अस्सी’ बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही हैं। अब ‘भैयाजी…’ का भी सुपरहिट होना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन लगता है। ऐसे में आप टाइटल के चक्कर में ना आएं, अपने विवेक सेे निर्णय लें।
रेटिंग : 1.5 स्टार