आर्यन शर्मा/जयपुर. कहते हैं, शौक उम्र देखकर पालने चाहिए। लेकिन शौक और प्यार में फर्क होता है। प्यार कभी भी किसी से भी हो सकता है। प्यार न तो अमीरी-गरीबी देखता है और न ही उम्र। यानी अगर प्यार में शिद्दत है तो उम्र का बंधन आड़े नहीं आता। ऐसी ही एज गैप लव स्टोरी को डायरेक्टर अकिव अली ने फिल्म ‘दे दे प्यार दे’ में पेश किया है। एज गैप का यह फॉर्मूला बॉलीवुड के लिए नया नहीं है। इससे पहले भी इस सब्जेक्ट पर फिल्में बन चुकी है। यही नहीं, अकिव ने फिल्म में लिव-इन रिलेशनशिप और सैपरेटेड कपल्स की फीलिंग्स को भी पिरोया है। कहानी में 50 वर्षीय आशीष (अजय देवगन) पत्नी मंजू (तब्बू) से सैपरेट लंदन में रहता है। मंजू और उनके दोनों बच्चे इंडिया में रहते हैं। आशीष अपने एक फ्रेंड की बैचलर पार्टी में आयशा(रकुल प्रीत सिंह) से मिलता है, जो कि 26 साल की बिंदास और खुशमिजाज लड़की है। आयशा ओवरड्रिंक के नशे में आशीष के घर ही रुक जाती है। इसके बाद दोनों का एक-दूसरे से मिलना-जुलना शुरू हो जाता है। दोनों को एक-दूसरे का साथ इतना अच्छा लगता है कि वे लिव-इन में रहने लगते हैं। आयशा, आशीष से शादी के लिए कहती है, पर वह एज गैप का हवाला देकर टालने की कोशिश करता है। इसके बाद कहानी में नया मोड़ आता है।
सिंपल स्टोरी में फन का तड़का
‘प्यार का पंचनामा’, ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ सरीखी कॉमेडी फिल्मों के निर्देशक लव रंजन ‘दे दे प्यार दे’ से भी जुड़े हैं। वह फिल्म के प्रोड्यूसर व राइटर हैं। उन्होंने सिंपल स्क्रिप्ट में एंटरटेनमेंट का तड़का लगाने कोशिश की है, लेकिन थोड़ी कमियां रह गई हैं। स्क्रीनप्ले मजेदार है, जिसे और क्रिस्प किया जा सकता था। पहली बार निर्देशन की कमान संभालने वाले अकिव का प्रयास ठीक-ठाक है, पर एडिटिंग में न्याय नहीं कर पाए। फिल्म में कॉमिक पंच के साथ कई डबल मीनिंग पंच भी हैं। कहानी में रकुल और तब्बू के बीच फंसे अजय की कन्फ्यूज वाली सिचुएशन हंसाती है। अजय का काम ठीक है, पर ऐसा लगता है कि वह एक दायरे में बंधे हुए हैं। रकुल की परफॉर्मेंस शानदार है और वह कॉन्फिडेंट लगी हैं। तब्बू के साथ उनकी नोक-झोंक अच्छी है। तब्बू ने हर बार की तरह कमाल का अभिनय किया है। कॉमेडी और इमोशंस वाले सीन अच्छे किए हैं। छोटी सी भूमिका में जिम्मी शेरगिल ह्यूमर क्रिएट करने में सफल रहे हैं। जावेद जाफरी की अपीयरेंस भी ठीक है। ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ फेम सन्नी सिंह और ‘सिंघम’ इस पैकेज में सरप्राइज हैं। सपोर्टिंग कास्ट का काम ओके है। गीत-संगीत कामचलाऊ है। सिनेमैटोग्राफी लुभावनी है।
‘प्यार का पंचनामा’, ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ सरीखी कॉमेडी फिल्मों के निर्देशक लव रंजन ‘दे दे प्यार दे’ से भी जुड़े हैं। वह फिल्म के प्रोड्यूसर व राइटर हैं। उन्होंने सिंपल स्क्रिप्ट में एंटरटेनमेंट का तड़का लगाने कोशिश की है, लेकिन थोड़ी कमियां रह गई हैं। स्क्रीनप्ले मजेदार है, जिसे और क्रिस्प किया जा सकता था। पहली बार निर्देशन की कमान संभालने वाले अकिव का प्रयास ठीक-ठाक है, पर एडिटिंग में न्याय नहीं कर पाए। फिल्म में कॉमिक पंच के साथ कई डबल मीनिंग पंच भी हैं। कहानी में रकुल और तब्बू के बीच फंसे अजय की कन्फ्यूज वाली सिचुएशन हंसाती है। अजय का काम ठीक है, पर ऐसा लगता है कि वह एक दायरे में बंधे हुए हैं। रकुल की परफॉर्मेंस शानदार है और वह कॉन्फिडेंट लगी हैं। तब्बू के साथ उनकी नोक-झोंक अच्छी है। तब्बू ने हर बार की तरह कमाल का अभिनय किया है। कॉमेडी और इमोशंस वाले सीन अच्छे किए हैं। छोटी सी भूमिका में जिम्मी शेरगिल ह्यूमर क्रिएट करने में सफल रहे हैं। जावेद जाफरी की अपीयरेंस भी ठीक है। ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ फेम सन्नी सिंह और ‘सिंघम’ इस पैकेज में सरप्राइज हैं। सपोर्टिंग कास्ट का काम ओके है। गीत-संगीत कामचलाऊ है। सिनेमैटोग्राफी लुभावनी है।
क्यों देखें : ‘दे दे प्यार दे’ में एज गैप रोमांस है। कॉमिक पंच के साथ इमोशनल सीन भी हैं। रकुल, अजय और तब्बू का त्रिकोण मजेदार है। फन, रोमांस और इमोशंस के साथ ‘दे दे प्यार दे’ टाइमपास मूवी है, जिसे देखा जा सकता है।