कनिका ढिल्लन की स्क्रिप्ट इंटरेस्टिंग है। स्क्रीनप्ले एंगेजिंग है। पहले हाफ में फिल्म पेस के साथ आगे बढ़ती है, पर दूसरे हाफ में स्क्रिप्ट कुछ हिस्सों में लड़खड़ाती है और कुछ दृश्य खींचे हुए से लगते हैं। हालंकि क्लाइमैक्स पर संभल जाती है। डायलॉग्स कहानी के मिजाज से मेल खाते हैं। चुटीले संवाद ह्यूमर का तड़का लगाते हैं। प्रकाश का डायरेक्शन अच्छा है। उन्होंने जिस अंदाज में स्टोरी को नैरेट किया है, वह वाकई इंटरेस्टिंग और स्टाइलिश है। मेंटली अनस्टेबल गर्ल के रोल में कंगना की परफॉर्मेंस जबरदस्त है। उन्होंने कैरेक्टर की डिफरेंट लेयर्स को कन्विसिंगली जीया है। कभी उनके किरदार का पागलपन खौफ पैदा कर देता है तो कभी सहमी सी लड़की के रूप में अनिष्ट की आशंकाएं दूसरे छोर पर ले जाती हैं। जहां कंगना परफॉर्मेंस में क्वीन हैं तो राजकुमार भी किंग हैं। कैरेक्टर के वैरिएशन के साथ राजकुमार की अदाकारी बेमिसाल है। अमायरा क्यूट लगी हैं। हुसैन दलाल मजाकिया हैं। कैमियो में जिमी शेरगिल, सतीश कौशिक व बृजेंद्र काला ओके हैं। म्यूजिक प्रभावशाली नहीं है। बैकग्राउंड स्कोर बढिय़ा है। सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग ठीक-ठाक है।