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ब्लेड की धार से ज्यादा धारदार ‘जजमेंटल…’

locationजयपुरPublished: Jul 26, 2019 02:19:18 pm

Submitted by:

Aryan Sharma

फिल्म ‘जजमेंटल है क्या’ में कंगना रनौत और राजकुमार राव की परफॉर्मेंस ब्लेड की धार से भी ज्यादा धारदार यानी असरदार है। फिल्म को इस तरह प्रजेंट किया गया है कि यह अंत तक बांधे रखती है। हालांकि इस बीच कुछ बिंदुओं पर थोड़ी कमजोर भी पड़ती है।

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ब्लेड की धार से ज्यादा धारदार ‘जजमेंटल…’

आर्यन शर्मा/जयपुर. प्रकाश कोवेलामुडी निर्देशित फिल्म ‘जजमेंटल है क्या’ में अनकन्वेंशनल कहानी को रोचक अंदाज में प्रस्तुत किया गया है। इस साइकोलॉजिकल ब्लैक थ्रिलर कॉमेडी में कंगना रनौत और राजकुमार राव एक्टिंग की फुल फॉर्म में हैं। कहानी की नायिका बॉबी (कंगना) वॉइस डबिंग आर्टिस्ट है और साउथ की फिल्मों के लिए डबिंग करती है। बचपन में हुई अप्रिय घटना के कारण वह दिमागी तौर पर हिली हुई है। उसके दिमाग में आवाजें हैं…लोग हैं…उसके लिए सब रीयल है। यही वजह है कि जिस कैरेक्टर के लिए भी वह डबिंग करती है, उसमें पूरी तरह घुस जाती है और उस किरदार की लाइफ जीने लगती है। मानसिक डिसऑर्डर ‘एक्यूट साइकोसिस’ के कारण बॉबी मेंटल असाइलम में भी रहकर आई है। वरुण (हुसैन दलाल) का बॉबी से एक रिश्ता है। इस रिश्ते को वरुण बॉयफ्रेंड का नाम देने को उतावला है लेकिन हर बार उसके अरमानों पर पानी फिर जाता है। फिर कहानी में केशव (राजकुमार) व उसकी पत्नी रीमा (अमायरा दस्तूर) की एंट्री होती है, जो बॉबी के किरायेदार बनकर आते हैं। बॉबी, केशव व रीमा की पर्सनल लाइफ में ताका-झांकी करती रहती है। ऐसा लगता है कि वह केशव से ऑब्सेस्ट है। इधर केशव का बिहेवियर भी अजीब तरह का है। इस बीच रीमा की मौत हो जाती है। बॉबी को शक है कि रीमा का मर्डर केशव ने किया है। इसके बाद कहानी कई उतार-चढ़ाव से गुजरती हुई क्लाइमैक्स तक पहुंचती है।
परफॉर्मेंस में क्वीन और किंग
कनिका ढिल्लन की स्क्रिप्ट इंटरेस्टिंग है। स्क्रीनप्ले एंगेजिंग है। पहले हाफ में फिल्म पेस के साथ आगे बढ़ती है, पर दूसरे हाफ में स्क्रिप्ट कुछ हिस्सों में लड़खड़ाती है और कुछ दृश्य खींचे हुए से लगते हैं। हालंकि क्लाइमैक्स पर संभल जाती है। डायलॉग्स कहानी के मिजाज से मेल खाते हैं। चुटीले संवाद ह्यूमर का तड़का लगाते हैं। प्रकाश का डायरेक्शन अच्छा है। उन्होंने जिस अंदाज में स्टोरी को नैरेट किया है, वह वाकई इंटरेस्टिंग और स्टाइलिश है। मेंटली अनस्टेबल गर्ल के रोल में कंगना की परफॉर्मेंस जबरदस्त है। उन्होंने कैरेक्टर की डिफरेंट लेयर्स को कन्विसिंगली जीया है। कभी उनके किरदार का पागलपन खौफ पैदा कर देता है तो कभी सहमी सी लड़की के रूप में अनिष्ट की आशंकाएं दूसरे छोर पर ले जाती हैं। जहां कंगना परफॉर्मेंस में क्वीन हैं तो राजकुमार भी किंग हैं। कैरेक्टर के वैरिएशन के साथ राजकुमार की अदाकारी बेमिसाल है। अमायरा क्यूट लगी हैं। हुसैन दलाल मजाकिया हैं। कैमियो में जिमी शेरगिल, सतीश कौशिक व बृजेंद्र काला ओके हैं। म्यूजिक प्रभावशाली नहीं है। बैकग्राउंड स्कोर बढिय़ा है। सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग ठीक-ठाक है।
क्यों देखें:‘जजमेंटल है क्या’ में प्रॉमिसिंग कहानी है, जिसका एक्जीक्यूशन एक्सीलेंट है। कंगना और राजकुमार की माइंड-ब्लोइंग परफॉर्मेंस व पागलपन इस डार्क फिल्म की जान है। कुछ चीजें ओवर जरूर हैं, पर यह वाकई में एक देखने लायक मूवी है।
रेटिंग: 3 स्टार

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