तारीफ के हकदार प्रशांत
निर्देशक प्रशांत नील का निर्देशन काबिले तारीफ है। उन्होंने दर्शकों की ‘नब्ज को पकड़ते हुए’ एंटरटेनमेंट की डोज का ‘रॉकिंग’ पैकेज प्रस्तुत किया है। रॉकी की जर्नी को दिलचस्प अंदाज में दर्शाया है। स्क्रीनप्ले लुभावना है। क्लाईमैक्स शानदार है। कहानी में झोल जरूर हैं, अगर इन झोल से चिपक गए यानी इनके बारे में सोचने लग गए तो स्वैग और एक्शन का मजा नहीं आएगा। प्रोडक्शन डिजाइन शानदार है। गीत-संगीत ज्यादा ध्यान आकर्षित नहीं करता। गाने कहीं न कहीं फिल्म की लंबाई को बढ़ाते हैं। बैकग्राउंड स्कोर कहानी की लाइफलाइन है। मूवी की गति जरूर ऊपर-नीचे होती रहती है। कहीं यह अपने ट्रैक को पकड़ कर पूरी रफ्तार से दौड़ रही होती है तो कई ऐसे मौके भी आते हैं, जहां यह थोड़ी धीमी पड़ जाती है। सिनेमैटोग्राफी आकर्षक और स्टाइलिश है।
एक्टिंग की बात करें तो रॉकिंग स्टार यश (Rocking Star Yash) की स्टाइल और स्वैग बेजोड़ है। उनकी बॉडी लैंग्वेज, एटीट्यूड, स्क्रीन प्रजेंस और परफॉर्मेंस शानदार है। संजय दत्त को ऐसा लुक दिया है, जिससे वह खतरनाक नजर आएं। वह काफी हद तक इसमें कामयाब भी रहे हैं। रवीना टंडन की एंट्री कहानी में देर से होती है, बावजूद इसके वह ध्यान बटोरने में सफल रही हैं। श्रीनिधि शेट्टी को स्क्रीन स्पेस ठीक ही मिला है, पर वह प्रभावित नहीं कर सकीं। प्रकाश राज कहानी के नैरेटर के तौर पर भरोसेमंद हैं। अन्य कलाकार भी फिल्म में बिल्कुल फिट हैं और अपने किरदार के साथ न्याय करते हैं। यह विशुद्ध मसाला फिल्म है, इसलिए मनोरंजन की लिहाज से देखी जा सकती है।