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खूबसूरत नहीं, ब्लर ‘फोटोग्राफ’

locationजयपुरPublished: Mar 15, 2019 01:56:13 pm

Submitted by:

Aryan Sharma

‘द लंच बॉक्स’ में खाने के डब्बे के सहारे दर्शकों के दिल में जगह बनाने वाले रितेश बत्रा ‘फोटोग्राफ’ से स्माइल लाने में चूक गए।

jaipur

खूबसूरत नहीं, ब्लर ‘फोटोग्राफ’

राइटिंग-डायरेक्शन : रितेश बत्रा
म्यूजिक : पीटर रायबर्न
सिनेमैटोग्राफी : टिमोथी गिलिस, बेन कुचिंस
एडिटिंग : जॉन एफ. लायंस
रनिंग टाइम : 111.10 मिनट
स्टार कास्ट : नवाजुद्दीन सिद्दीकी, सान्या मल्होत्रा, फर्रुख जफर, गीतांजलि कुलकर्णी, विजय राज, सचिन खेड़ेकर, जिम सरभ, आकाश सिन्हा, बृंदा त्रिवेदी, वीरेन्द्र सक्सेना, सहर्ष कुमार शुक्ला
आर्यन शर्मा/जयपुर. परफेक्ट एंगल और विजन के साथ अगर किसी का फोटोग्राफ क्लिक किया जाता है तो उसे देखते ही मुंह से निकल पड़ता है, ‘वाह! क्या कमाल फोटो आया है।’ लेकिन फोटो क्लिक करते समय जरा भी चूक हो गई तो वह फोटो ब्लर (धुंधली) ही आती है, भले ही आपने आकर्षक स्माइल के साथ पोज दिया हो। ‘द लंच बॉक्स’ में बेहद सीधी, सरल और सच्ची लव स्टोरी प्रस्तुत कर चुके निर्देशक रितेश बत्रा अब ‘फोटोग्राफ’ मूवी लेकर आए हैं। इस फिल्म में वह उस अहसास को शिद्दत से पिरो नहीं पाए, जो ‘द लंच बॉक्स’ में था। यही वजह है कि बेहद धीमी रफ्तार में आगे बढ़ती ‘फोटोग्राफ’ धैर्य की कड़ी परीक्षा लेती है। कहानी में रफी (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर फोटोग्राफी का काम करता है। एक दिन वह मिलोनी (सान्या मल्होत्रा) का फोटोग्राफ क्लिक करता है, जो कि सीए स्टूडेंट है। वह सीए फाउंडेशन में टॉप कर चुकी है। इधर, रफी की दादी (फर्रुख जफर) लगातार उस पर निकाह का दबाव बना रही है। यहां तक कि खबर आती है कि दादी ने दवा लेना भी बंद कर दिया है। ऐसे में रफी दादी को खत के साथ मिलोनी की फोटो भेज देता है और कहता है कि उसने यह लड़की पसंद कर ली है। इसके बाद कहानी में कई उतार-चढ़ाव आते हैं।
बेहद स्लो है
कहानी सिम्पल है। स्क्रीनप्ले क्रिस्प नहीं है। फिल्म की कहानी रेंग-रेंग कर आगे बढ़ती है। रितेश का डायरेक्शन भी कुछ खास नहीं है। कुछ दृश्य अच्छे हैं, तो कुछ इतने स्लो हैं कि बेचैनी होने लगती है और झपकी आने लगती है। बैकग्राउंड स्कोर जरूर कहानी के साथ तालमेल रखता है।मुंबई की बारिश, चाय, पकौड़े, कुल्फी, गोला आदि को दोनों मुख्य किरदारों के साथ पिरोकर रोमांस की आहट महसूस कराने की कोशिश की है। नवाज और सान्या की परफॉर्मेंस ठीक है। दोनों के किरदार ऐसे हैं, जिनके मन के भीतर भावनाओं का ज्वार तो उमड़ता है, लेकिन वे उसे शब्दों में जाहिर नहीं करते। यानी उनके मन में प्यार का अहसास तो है, मगर उसका इजहार नहीं है। रफी की दादी की भूमिका में फर्रुख जफर की एक्टिंग अच्छी है। उनके बोलने का अंदाज व मासूमियत भरे संवाद सुनकर बीच-बीच में हल्की हंसी आने लगती है। मिलोनी के टीचर के रोल में जिम सरभ ने खुद को जाया किया है। सपोर्टिंग कास्ट का काम ठीक है। कैमरा वर्क आकर्षक है, लेकिन संपादन काफी ढीला है।
क्यों देखें : दो अलग माहौल में पले-बढ़े किरदारों को ‘फोटोग्राफ’ की कहानी में बुना है, लेकिन खामोशी छाई हुई है। यह अलग तरह का रोमांस दर्शकों से कनेक्ट नहीं हो पाता। इसलिए फिल्म देखने का निर्णय अपने विवेक से लें।
रेटिंग : 2 स्टार

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