आर्यन शर्मा/जयपुर. ‘परमाणु : द स्टोरी ऑफ पोखरण’, ‘सत्यमेव जयते’ की सक्सेस के बाद जॉन अब्राहम स्पाइ थ्रिलर ‘रोमियो अकबर वाल्टर’ से पर्दे पर लौटे हैं। पिछले कुछ वर्षों में बॉलीवुड में जासूसी पर बेस्ड कई फिल्में आई हैं, जिनमें से कुछ ने बॉक्स ऑफिस के मिशन को सफलता के साथ पूरा भी किया। लेकिन ‘रोमियो…’ के बॉक्स ऑफिस मिशन पर सफल होने पर संदेह के बादल हैं। दरअसल, अंडरकवर मिशन की सक्सेस के लिए रिसर्च, जबरदस्त प्लानिंग और उसका बेहतरीन एग्जीक्यूशन जरूरी है, ठीक वैसी ही मूवी की सफलता उसकी स्क्रिप्ट, स्क्रीनप्ले, डायरेक्शन सहित विविध पहलुओं के अच्छे होने पर निर्भर है। लेकिन मनोरंजन के मिशन में ‘रोमियो…’ फेल नजर आती है। यह कहानी है रोमियो अली (जॉन अब्राहम) की, जो बैंक कर्मचारी है। उसके पिता देश के लिए शहीद हो चुके हैं। वह मां वहीदा (अलका अमीन) के साथ रहता है। रॉ चीफ श्रीकांत राय लंबे समय से रोमियो पर नजर रखे हुए हैं। एक दिन बैंक में रॉबर आ जाते हैं, जिनका सामना रोमियो बहादुरी के साथ करता है। इस घटना के बाद रोमियो की मुलाकात श्रीकांत राय से होती है। श्रीकांत उसे कहते हैं कि वह रॉ के लिए काम करे। इसके लिए रोमियो को बाकायदा ट्रेनिंग दी जाती है। फिर उसे अंडरकवर मिशन पर पाकिस्तान भेजा जाता है। इसके बाद कहानी में कई उतार-चढ़ाव आते हैं।
लिखावट में कसावट नहीं
कहानी साधारण है। स्पाइ थ्रिलर विषय के अनुरूप लिखावट नहीं है। स्क्रीनप्ले में कसावट की बेहद कमी है, साथ ही खामियां भी बहुत हैं। कई दृश्य कन्फ्यूजन क्रिएट करते हैं। रॉबी ग्रेवाल का डायरेक्शन चलताऊ है। फिल्म में रिसर्च तो दिखता है, पर उसके मुताबिक प्रजेंटेशन नहीं है। स्पाइ मूवी होने के बावजूद रोमांच नदारद है। पहला हाफ घिसटता हुआ आगे बढ़ता है, जो कि बोझिल है। दूसरा हाफ थोड़ा ठीक है। जॉन ने अपने किरदार अच्छे से जीने की कोशिश की है। हालांकि उनके एक्शन दृश्यों की कमी खलती है। जैकी श्रॉफ रॉ चीफ हैं, पर उनका कैरेक्टर ज्यादा विस्तारित नहीं है। फिर भी अपनी काबिलियत से वह विश्वास बनाए रखते हैं। मौनी रॉय के लिए फिल्म में जरा भी स्कोप नहीं है। आईएसआई ऑफिसर के रोल में सिकंदर खेर जंचे हैं, वहीं अनिल जॉर्ज की परफॉर्मेंस भी काबिलेतारीफ है। रघुवीर यादव भी प्रभावित करते हैं। अन्य सपोर्टिंग कास्ट का काम ठीक है। गीत-संगीत में दम नहीं है। तपन बसु की सिनेमैटोग्राफी अट्रैक्टिव है, लेकिन एडिटिंग सुस्त है।
क्यों देखें : ‘रोमियो अकबर वाल्टर’ अपने विषय से न्याय नहीं करती है। जासूसी और पाकिस्तान होने के बावजूद रोमांचित नहीं करती। लिहाजा यह फिल्म को न भी देखा जाए, तो कुछ मिस नहीं करेंगे।
रेटिंग : 2 स्टार