आर्यन शर्मा/जयपुर. इंद्र कुमार निर्देशित ‘धमाल’ फ्रेंचाइजी की तीसरी फिल्म ‘टोटल धमाल’ में एक बार फिर किरदारों की बचकानी हरकतें व बेवकूफियां गुदगुदाती हैं। फिर भी इस एडवेंचर-कॉमेडी फिल्म का टाइटल भले ही ‘टोटल धमाल’ हो, मगर कॉमेडी का धमाल उस लेवल का नहीं है, जो साल 2007 में आई फिल्म ‘धमाल’ में था। यानी ‘टोटल धमाल’ हंसा-हंसा कर लोटपोट नहीं करती। ‘टोटल धमाल’ में संजय दत्त की जगह अजय देवगन ने ली है। साथ ही अनिल कपूर व माधुरी दीक्षित की जोड़ी लम्बे अर्से बाद पर्दे पर नजर आई है। फिल्म की कहानी में गुड्डू (अजय देवगन) अपने साथी जॉनी (संजय मिश्रा) व पिंटू (मनोज पाहवा) के साथ 50 करोड़ रुपए लूटता है, पर पिंटू दोनों को धोखा देकर सारे रुपए लेकर चंपत हो जाता है। यह लूटा हुआ माल पुलिस कमिश्नर (बोमन ईरानी) की ब्लैक मनी है। कहानी में मोड़ तब आता है जब अपने साथियों से बचकर भागते समय हादसे में पिंटू की मौत हो जाती है। जहां उसका एक्सीडेंट होता है, वहां गुड्डू व जॉनी के अलावा दो-दो की जोड़ी में छह और लोग होते हैं। अंतिम सांस लेने से पहले पिंटू बताता है कि उसने बैग जनकपुर में जू के ‘ओके’ में छुपा रखा है। सभी में धन को लेकर लालच आ जाता है। लंबी बहस के बाद सब मिलकर तय करते हैं कि जो सबसे पहले पहुंचकर बैग हासिल कर लेगा, सारा माल उसका होगा। इसके बाद शुरू होती है 50 करोड़ हथियाने के लिए एडवेंचर रेस।
कमाल के हैं एडवेंचरस सीक्वेंस
प्लॉट सिम्पल है, स्टोरी में फ्रेशनेस गायब है। स्क्रीनप्ले क्रिस्प नहीं है। कई दृश्य खींचे हुए से लगते हैं। इन्द्र कुमार ने एडवेंचर के साथ कॉमेडी का तालमेल बना मनोरंजन गढऩे का प्रयास किया है। फिल्म के किरदार यूं तो खुद को चालाक समझते हैं, पर इसी चालाकी के फेर में वे एक के बाद एक बेवकूफियां करते जाते हैं। इससे क्रिएट होने वाली सिचुएशंस हंसाती है। कलाकारों की परफॉर्मेंस ठीक-ठाक है। अजय-संजय की हास्य जुगलबंदी अच्छी है। हालांकि कहीं-कही संजय ओवरएक्टिंग करते दिखे हैं। अनिल-माधुरी की जोड़ी जब भी स्क्रीन पर आती है तो ठहाके लगते हैं। अरशद वारसी और जावेद जाफरी भी कॉमिक टाइमिंग से गुदगुदाते हैं। खासकर मानव (जावेद) का बच्चों की तरह सवाल करना मजेदार है। रितेश देशमुख व पितोबाश त्रिपाठी की कॉमिक टाइमिंग भी अच्छी है। सपोर्टिंग कास्ट में बोमन ईरानी, जॉनी लीवर, मनोज पाहवा, महेश मांजरेकर व विजय पाटकर का काम ठीक-ठाक है। गीत-संगीत औसत है। सॉन्ग ‘पैसा ये पैसा’ और ‘मूंगड़ा’ को फिल्म में रीक्रिएट किया है। आइटम नंबर ‘मूंगड़ा’ में सोनाक्षी सिन्हा की अपीयरेंस आकर्षक है। ब्रिज का गिरना, क्रैश हेलिकॉप्टर की लैंडिंग, ट्रेन से कार की टक्कर, नदी में सैलाब जैसे दृश्य एडवेंचर राइड पर ले जाते हैं। ऐसे सीक्वेंस में वीएफएक्स का इस्तेमाल गजब का है। सिनेमैटोग्राफी अट्रैक्टिव है, जबकि एडिटिंग टाइट नहीं है।
क्यों देखें : फिल्म में टोटल स्टार कास्ट जितना धमाल तो नहीं है, फिर भी यह टुकड़ों में गुदगुदाती है। अगर आप मूवी की दृश्यों में तर्क ढूंढने की कोशिश करेंगे तो यह आपको इरिटेट करेगी। बहरहाल, यह साफ-सुथरी फैमिली एंटरटेनर है, जिसे एक बार देखा जा सकता है।
रेटिंग : 2.5 स्टार