सुनाए दिलचस्प किस्से
परिचर्चा सत्र का आगाज हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी की सदारत में हुआ। ओम थानवी ने कहा कि फिराक की भाषा बोल चाल की भाषा थी। उनकी इसी सादगी से आम लोग उनकी शायरी को आसानी से समझ पाते हैं। फिराक के बारे में सामान्य धारणा यह है कि वे एक महान शायर थे, लेकिन विचारक या दार्शनिक नहीं थे। हालांकि सांप्रदायिकता पर उनका उस समय लिखी गई पुस्तक ‘हमारा सबसे बड़ा दुश्मन’ से यह साबित होता है कि फिराक महान विचारक भी थे।फातमी ने सुनाए संस्मरण
इस मौके पर फिराक के साथ 10 साल बिताने वाले इलाहाबाद के प्रोफेसर अली अहमद फातमी ने फिराक के कुछ दिलचस्प किस्से सुनाकर दर्शकों का दिल जीत लिया। उन्होंने कहा कि फिराक अक्सर हिंदी भाषा के आलोचक के रूप में जाने जाते हैं। वास्तव में वे किताबी इल्म यानी किताबी ज्ञान के आलोचक थे।इस अवसर पर राजेंद्र बोड़ा, प्रोफेसर नंद किशोर आचार्य के अलावा प्रो. शफी किदवई, डॉ. खालिद अल्वी, डॉ.नगमा परवीन आदि ने भी फिराक गोरखपुरी की जिंदगी पर रोशनी डाली।