जयपुर

फिराक ने उर्दू शायरी को नया लहजा दिया : फुरकान

जवाहर कला केंद्र ( Jawahar Kala Kendra Jaipur ) में उदयपुर ( Udaipur ) के उर्दूदां और जेकेके के अतिरिक्त महानिदेशक फुरकान खान ने फिराक की शायरी और रुबाई का तथ्यपरक विश्लेषण किया। उन्होंने बुधवार को फिराक गोरखपुरी ( Firaq Gorakhpuri ) की जयंती पर राजस्थान उर्दू अकादमी और जेकेके के संयुक्त तत्वावधान के दूसरे सत्र में ‘फिराक गोरखपुरी : कुछ यादें, कुछ बातें’ विचार गोष्ठी के दूसरे सत्र में पत्रवाचन किया।

जयपुरAug 28, 2019 / 10:01 pm

rajendra sharma

फिराक ने उर्दू शायरी को नया लहजा दिया : फुरकान

जवाहर कला केंद्र के अतिरिक्त महानिदेशक ( ADG ) फुरकान खान ( Furqan Khan )ने शायर फिराक गोरखपुरी के चुनिंदा अशआरों को अपने अंदाज में पेश किया। उन्होंने फिराक की शायरी पर रोशनी डालने के साथ-साथ उनके जज्बातों को उनकी शायरी के जरिए बयां किया। उनका कहना था कि फिराक की शायरी का यह कमाल ही है कि उनके कहे अल्फाज आज के दीगर शायरों का मुस्तकबिल रोशन कर गए। सही मायने में फिराक की आमद ने उर्दू शायरी को एक नया लहजा दिया। उनकी शायरी का एक छोटा हिस्सा साहसी और इंकलाबी रूमानियत पर भी आधारित रहा। उनकी शायरी में एक अलग ही जेहनी बैचेनी भी शुमार रही है।

सुनाए दिलचस्प किस्से

परिचर्चा सत्र का आगाज हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति ओम थानवी की सदारत में हुआ। ओम थानवी ने कहा कि फिराक की भाषा बोल चाल की भाषा थी। उनकी इसी सादगी से आम लोग उनकी शायरी को आसानी से समझ पाते हैं। फिराक के बारे में सामान्य धारणा यह है कि वे एक महान शायर थे, लेकिन विचारक या दार्शनिक नहीं थे। हालांकि सांप्रदायिकता पर उनका उस समय लिखी गई पुस्तक ‘हमारा सबसे बड़ा दुश्मन’ से यह साबित होता है कि फिराक महान विचारक भी थे।

फातमी ने सुनाए संस्मरण

इस मौके पर फिराक के साथ 10 साल बिताने वाले इलाहाबाद के प्रोफेसर अली अहमद फातमी ने फिराक के कुछ दिलचस्प किस्से सुनाकर दर्शकों का दिल जीत लिया। उन्होंने कहा कि फिराक अक्सर हिंदी भाषा के आलोचक के रूप में जाने जाते हैं। वास्तव में वे किताबी इल्म यानी किताबी ज्ञान के आलोचक थे।
इस अवसर पर राजेंद्र बोड़ा, प्रोफेसर नंद किशोर आचार्य के अलावा प्रो. शफी किदवई, डॉ. खालिद अल्वी, डॉ.नगमा परवीन आदि ने भी फिराक गोरखपुरी की जिंदगी पर रोशनी डाली।

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