24 से 36 घंटे का होगा मिशन
डॉ एडोलबर्क ने बताया कि हमारा मिशन 24 से 36 घंटे तक का ही होगा। हम नहीं चाहते कि गर्भवती महिला ज्यादा से ज्यादा समय तक अंतरिक्ष में रहे। हम सिर्फ प्रसव पीड़ा होने से लेकर बच्चे के जन्म होने तक के ही आधार पर प्रोजेक्ट को डिजाइन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह केवल लॉअर अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) पर ही संभव है। बता दें कि एलईओ 2 हजार या उससे कम ऊंचाई के साथ एक पृथ्वी केंद्रित कक्षा है।
डॉ एडोलबर्क ने बताया कि हमारा मिशन 24 से 36 घंटे तक का ही होगा। हम नहीं चाहते कि गर्भवती महिला ज्यादा से ज्यादा समय तक अंतरिक्ष में रहे। हम सिर्फ प्रसव पीड़ा होने से लेकर बच्चे के जन्म होने तक के ही आधार पर प्रोजेक्ट को डिजाइन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह केवल लॉअर अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) पर ही संभव है। बता दें कि एलईओ 2 हजार या उससे कम ऊंचाई के साथ एक पृथ्वी केंद्रित कक्षा है।
चूहों पर शोध सफल
नासा ने 1997 में अंतरिक्ष में गर्भवती चूहों पर शोध किया था। तब वैज्ञानिकों को इसमें सफलता मिली थी। माइक्रोग्रेविटी के संपर्क में आने के बाद चूहों पर प्रजनन के दौरान कोई समस्या नहीं आई।
नासा ने 1997 में अंतरिक्ष में गर्भवती चूहों पर शोध किया था। तब वैज्ञानिकों को इसमें सफलता मिली थी। माइक्रोग्रेविटी के संपर्क में आने के बाद चूहों पर प्रजनन के दौरान कोई समस्या नहीं आई।
ये बातें हैं जरूरी
30 महिला प्रतिभागियों के होने पर ही योजना को सफल बनाने की दिशा में काम संभव है।
स्पेश टूरिज्म (अंतरिक्ष पर्यटन) के क्षेत्र में फंडिंग से ही 12 साल में पूरी हो सकेगी योजना।
30 महिला प्रतिभागियों के होने पर ही योजना को सफल बनाने की दिशा में काम संभव है।
स्पेश टूरिज्म (अंतरिक्ष पर्यटन) के क्षेत्र में फंडिंग से ही 12 साल में पूरी हो सकेगी योजना।