आपको बता दें कि ट्रस्ट के गठन के बाद महंत नृत्यगोपालदास का नाम ट्रस्ट में शामिल नहीं होने पर अयोध्या के संतों ने नाराजगी दिखाई थी। उन्होंने आंदोलन शुरू करने की चेतावनी भी दी थी। इसके बाद एक शीर्ष केन्द्रीय मंत्री ने महंत नृत्यगोपाल दास से वार्ता करके आश्वासन दिया था कि उनको ट्रस्ट में शामिल किया जाएगा। नृत्यगोपालदास को यह बताया गया कि उन पर ढ़ांचा विध्वंस के मामले में केस चल रहा है। इसको लेकर मंदिर विरोधी तत्व कोर्ट जा कर ट्रस्ट के गठन में अड़चन पैदा कर सकते हैं। अब तर्क दिया जा रहा है कि ट्रस्ट अब स्वतंत्र संस्था है इसका बोर्ड आफ ट्रस्टी उनके शामिल करने का फैसला ले सकता है।
वहीं निर्मोही अखाड़ा के महंत एवं ट्रस्ट के ट्रस्टी दिनेंद्रदास ने बताया कि उनके अखाड़ा के पंचों की मांग है कि अखाड़े के 6 पंचों को ट्रस्ट में जगह दी जाए। यह मांग वो बैठक में रखेंगे। ट्रस्ट के सभी सदस्य एकमत हैं। आपस में कोई विवाद नहीं है।सभी की इच्छा है राम मंदिर का निर्माण जल्द शुरू हो। इसके लिए मंदिर निर्माण शुरू करने की तिथि पर भी इस बैठक में चर्चा होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच फरवरी को लोकसभा में ट्रस्ट के गठन का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए एक स्वायत्त ट्रस्ट का गठन कर दिया गया है। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार एक स्वायत्त ट्रस्ट ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ के गठन का प्रस्ताव पारित किया गया है। ये ट्रस्ट अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मस्थली पर भव्य और दिव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण और उससे संबंधित विषयों पर निर्णय लेने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होगा।