अन्य प्रकार की भी नॉन बायोडिग्रेडेबल वस्तुओं का उपयोग निषेध रहेगा। यह प्रक्रिया बुधवार से शुरू हो गई है। संभवतया: ऐसा करने वाला यह पहला सरकारी कार्यालय होगा। संस्थान के निदेशक आइएफएस डॉ. एनसी जैन ने बताया कि संस्थान में कोई भी सामग्री वेस्ट नहीं जाए और उनका इस्तेमाल कर खाद बना सकें, ताकि पेड़-पौधों में उपयोग किया जा सकें। उन्होंने बताया कि स्टूडेंट्स के लिए बनने वाले भोजन और अन्य व्यवस्थाएं होती है। उससे जितना भी बायोडिग्रेडेबिल अपशिष्ट निकलेगा, उसको भी खाद बनाने में काम में लिया जाएगा।
यहां तक कि संस्थान परिसर में कोई भी प्लास्टिक के फोल्डर्स नहीं ला सकेंगे। साथ ही कागज का भी इस्तेमाल कम हों। इसके लिए ज्यादातर पत्राचार, ई-मेल या अन्य डिजिटल माध्यम से किए जाएंगे।यहां बनने वाली खाद का उपयोग पौधे तैयार करने और पूर्व में रोपित पौधों के लिए किया जाएगा।