विभागीय सूत्रों की मानें तो पूरे प्रदेशभर में ढाई हजार और जयपुर में डेढ़ हजार के लगभग कॉलोनियां हैं जो कट आॅफ डेट की वजह से नियमन से वंचित हैं। इन कॉलोनियों में सुविधा क्षेत्रा 60:40 के अनुपात में नहीं है। कट आॅफ डेट अगर दिसंबर, 2018 की जाती है तो सुविधा क्षेत्र 70:30 के अनुपात में हो जाएगा, जिससे इन कॉलोनियों का नियमन किया जा सकेगा। इस निर्णय से कृषि भूमि पर बसी अवैध कॉलोनियों को भी सीधे तौर पर फायदा होगा।
तकनीकी समस्या भी होगी दूर इस निर्णय से कॉलोनियों के नियमन में आ रही तकनीकी समस्या भी दूर हो जाएगी। कई कॉलोनियां ऐसी है जिनकी खातेदारी अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के लोगों के नाम दर्ज हैं। काश्तकारी अधिनियम के अनुसार ऐसी जमीनों का बेचान केवल अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को ही किया जा सकता है, जबकि बिना भू-रूपांतरण के बसी इन कॉलोनियों की भूमि अन्य लोगों को बेची गई हैं। भू-राजस्व अधिनियम की धारा 90A (8) के मुताबिक 17 जून 99 से पहले बसी कॉलोनियों में काश्तकारी अधिनियम का यह प्रावधान लागू नहीं होता है।
मौजूदा सत्र में लाएंगे संशोधन विधेकय कट ऑफ डेट बढ़ाने के लिए भू राजस्व अधिनियम की इसी धारा में बदलाव कर 17 जून 99 के बजाय वर्ष 2018 की कट ऑफ डेट इस धारा में अंकित की जाएगी। विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में इसके लिए संशोधन विधेयक लाया जाएगा।