बिजली उत्पादन कंपनियों के साथ इस तरह समझौते किए गए हैं कि डिस्कॉम्स महंगी बिजली खरीदने पर मजबूर होता रहे। पहले तो 20 से 25 वर्ष के लम्बे अनुबंध और फिर उसमें ऐसे प्रावधान की डिस्कॉम्स को फिक्स चार्ज भी लम्बे समय तक देना पड़ रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक 12 से 15 वर्ष तक के अनुबंध होने चाहिए थे, जिसके बाद डिस्कॉम्स के पास मोलभाव कर फिक्स चार्ज में कमी या बंद कराने का विकल्प होता।
– डिस्कॉम्स को कई पॉवर प्लांट से 15 रुपए प्रति यूनिट तक बिजली खरीदनी पड़ रही।
– बाजार (इलेक्ट्रिसिटी एक्सचेंज) में औसतन 3.50 रुपए प्रति यूनिट में बिजली उपलब्ध है।
– राष्ट्रीय औसत दर 3.90 रुपए प्रति यूनिट तक है।
(बाजार से एक लिमिट तक ही बिजली खरीद की अनुमति है)
पॉवर स्टेशन—————कुल दर———फिक्स चार्ज——एनर्जी चार्ज
पीटीसी डीबी पावर —— 4.11 —— 2.28 —— 1.83
रामपुर हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट —— 6.56 —— 4.37 —— 2.19 कोलडेम हाइड्रो पावर स्टेशन —— 5.47 —— 2.96 —— 2.51
अंता जीटीपीएस —— 15.38 —— 12.58 —— 2.80
दादरी गैस, उत्तरप्रदेश —— 5.41 —— 2.52 —— 2.88 दुलहस्ती पावर प्लांट —— 5.20 —— 2.63 —— 2.57
परबाती एनएचपीसी —— 5.52 —— 3.97 —— 1.54 पीटीसी टेस्ता —— 5.95 —— 3.22 —— 2.72
सिंगरौली एचईपी —— 5.22 —— 2.61 —— 2.61
(आंकड़े रुपए प्रति यूनिट में) इस तरफ ध्यान दिया जाए तो बने बात
केन्द्र सरकार ने 25 साल पुराने बिजली खरीद अनुबंध को निरस्त करने की छूट दी है। इसका मतलब बिजली वितरण और विद्युत उत्पादन कंपनी के बीच एग्रीमेंट किए हुए 25 साल ही आधार नहीं है, बल्कि यदि संबंधित प्लांट को संचालित हुए 25 साल हो गए तो भी अनुबंध निरस्त कर सकते हैं। मसलन, प्लांट 1990 में लगा था और हमने उससे बिजली खरीद का अनुबंध 2001 में किया है तो भी हम अनुबंध निरस्त कर सकते हैं। फिर भले ही अनुबंध को अभी बीस साल ही क्यों न हुए हों।
25 साल पुराने अनुबंध निरस्त करते समय मोलभाव (नेगोसिएशन) भी कर सकते हैं। यदि फिक्स चार्ज खत्म कर दे और बिजली खरीद दर ही ले तो उससे आगे भी बिजली खरीदी जा सकती है। पंजाब इस तरफ बढ़ रहा है।
बिजली खरीद अनुबंध की हाईपॉवर कमेटी के जरिए ऑडिट हो। अभी अनुबंध करने और बिजली खरीदने वाली सरकारी एजेंसियां एक ही विभाग के दायरे में है। इससे जनता के बीच वास्तविक स्थिति आएगी और परदर्शिता बढ़ेगी। अभी ऊर्जा विकास निगम बिजली खरीद कर बिल डिस्कॉम्स को भेजता है।
बिजली उत्पादक प्लांट मशीनरी, उसके रखरखाव, संचालन और उसके लिए गए लोन से जुड़ी ब्याज राशि के लिए फिक्स चार्ज लेता है। इसके लिए उत्पादक और डिस्कॉम के बीच अनुबंध होता है। यदि डिस्कॉम संबंधित उत्पादक से बिजली नहीं खरीदता है तो भी उसे फिक्स चार्ज देने होते हैं।
बिजली उत्पादन कंपनियों से ऐसे समझौता किए कि सरकारी महंगी खरीद को मजबूर रहे। पहले तो 25 वर्ष के लम्बे अनुबंध और फिर ऐसे प्रावधान कि फिक्स चार्ज भी लम्बे समय तक देना पड़े। पंजाब में भी ऐसा ही हुआ। हाल ही में कांग्रेस नेता नवजोत सिद्धु ने लगातार ट्वीट कर यह मुद्दा उठाया। साथ ही इससे निजात की राह दिखाई। उन्होंने विधानसभा में नेशनल पावर एक्सचेंज पर उपलब्ध कीमतों पर बिजली खरीद लागत के लिए नया कानून लाने का विकल्प सुझाया है। नए कानून से महंगे बिजली खरीद अनुबंध बीच में ही रद्द किया जा सकता है।
बीडी कल्ला, ऊर्जा मंत्री
राजेन्द्र राठौड़, उपनेता प्रतिपक्ष