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भूमिगत जल में फ्लोराइड की मात्रा, पुराने फिल्टरों के सहारे हो रही पेयजल की आपूर्ति

locationजयपुरPublished: Oct 15, 2019 09:35:14 pm

Submitted by:

anant

हनुमानगढ़ में इन दिनों पेयजल की शुद्धता पर उंगलियां उठ रही हैं। डबली राठान कस्बे के दोनों वाटर वर्क्स में स्थापित चार दशक से भी अधिक पुराने फिल्टरों के दम पर शुद्धता का पैमाना खरा नहीं उतर रहा है। 25 हजार की आबादी को आज भी वर्षों पुराने फिल्टरों के सहारे ही पेयजल की आपूर्ति की जा रही है।

भूमिगत जल में फ्लोराइड की मात्रा, पुराने फिल्टरों के सहारे हो रही पेयजल की आपूर्ति

भूमिगत जल में फ्लोराइड की मात्रा, पुराने फिल्टरों के सहारे हो रही पेयजल की आपूर्ति

हनुमानगढ़ में इन दिनों पेयजल की शुद्धता पर अंगुलियां उठ रही हैं। डबली राठान कस्बे के दोनों वाटर वर्क्स में स्थापित चार दशक से भी अधिक पुराने फिल्टरों के दम पर शुद्धता का पैमाना खरा नहीं उतर रहा है। 25 हजार की आबादी को आज भी वर्षों पुराने फिल्टरों के सहारे ही पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। ऐसे में ग्रामीण जलदाय विभाग को जमकर कोस रहे हैं। कुतुब वास वाटर वर्क्स स्कीम करीब पांच दशक पहले 1970 में शुरू हुई, आबादी का बोझ बढ़ा तो फोरलेन मार्ग पर विधुत वितरण निगम कार्यालय के पास दूसरे वाटर वर्क्स की स्थापना 1990 की दशक में हुई। दोनों वाटर वर्क्स में दोनों पंचायतों की आबादी को घिसे पीटे फिल्टरों से ही पेयजल आपूर्ति की जा रही है। नहरी पानी की कमी होने पर भूजल पानी की आपूर्ति की जाती है, जो फ्लोराइड युक्त होने पर कई बीमारियों को बढ़ावा दे रहे हैं।

-परिसर में गंदगी ही गंदगी

इधर, कुतुब वास स्थित वाटर वर्क्स परिसर में चारों ओर गंदगी का आलम है। जंगली घास-झाड़ियों से परिसर अटा हुआ है। दो जगहों से चार दिवारी क्षतिग्रस्त हो गई है। जिससे बेसहारा गोवंश परिसर के अंदर आ जाते हैं, जो गंदगी को और बढ़ावा दे रहे हैं।
-कर्मचारियों का टोटा

जलदाय विभाग में वर्षों से भर्ती बंद होने पर कर्मचारियों का टोटा बना हुआ है। चार कर्मियों की सेवा निवृत्त के बाद पद नहीं भरने से विभाग एक-दो अस्थाई कर्मचारियों के भरोसे पेयजल आपूर्ति आदि अन्य काम करवा रहा है। जिससे व्यवस्था चरमरा गई है। दोनों स्कीमों की पेयजल आपूर्ति पर ग्रामीणों ने तंज कसते हुए कहा कि शुद्धता एवं स्वच्छता के सवाल पर जलदाय विभाग को कटघरे में खड़े करने के अलावा कोई चारा नहीं है।

पत्रिका ने जब यहां के स्थानीय लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि पानी की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है। भूमिगत पेयजल स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक है। जलदाय विभाग और जनप्रतिनिधियों की खामोशी अखरने वाली है। वहीं कुछ ग्रामीणों का कहना कि तीन चार बार माकपा, जनवादी महिला समिति के नेतृत्व में आंदोलन भी हुआ, लेकिन जलदाय विभाग के अधिकारी और प्रशासन मौका पर पहुंचे तो सही लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात वाला रहा।
इधर, माकपा राज्य कमेटी सदस्य और पूर्व सरपंच रामेश्वर वर्मा, जनवादी महिला समिति प्रदेशाध्यक्ष चन्द्र कला वर्मा ने बताया कि पिछले तीन वर्षों से पेयजल की शुद्धता के लिए जलदाय विभाग और प्रशासन से सिर्फ आश्वासन मिल रहा है, अगर जल्द इस समस्या का कोई हल नहीं निकला गया तो प्रशासन की नींद ***** करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
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